KFC : शाकाहारी ग्राहक को मांसाहारी बर्गर दिया, इसलिए के.एफ्.सी. प्रतिष्ठान को १२ सहस्र रुपयों का दंड

चंडीगढ – शहर के ग्राहक न्यायालय ने के.एफ्.सी. नामक खाद्यपदार्थ बिकनेवाले प्रतिष्ठान को १२ सहस्र रुपयों का दंड दिया है । के.एफ्.सी.ने शाकाहारी ग्राहक को मांसाहारी बर्गर दिया था । तदुपरांत ग्राहक ने परिवाद किया था । चंडीगढ के सेक्टर ३५ के के.एफ्.सी. शाखा में वर्ष २०२३ में यह घटना घटी थी ।

१. यहां के अनिरुद्ध गुप्ता ने बताया, ‘मैं और मेरी पत्नी के.एफ्.सी. के नियमित ग्राहक हैं । पत्नी शुद्ध शाकाहारी है । ३ मई २०२३ को मैंने मी के.एफ्.सी. के ऑनलाईन ऐप पर अपने लिए ‘चिकन बकेट’ नामक मांसाहारी पदार्थ और पत्नी के लिए ‘क्लासिक वेज क्रिस्पर’ नामक शाकाहारी पदार्थ मंगवाया था और उसके लिए पैसों का भुगतान भी किया था । जब मेरी पत्नी ने भेजा गया बर्गर खाना आरंभ किया, तब उसे कुछ विचित्र सा लगा । उसने तुरंत वीडियो कॉल कर मुझे बर्गर दिखाया । बर्गर में चिकन देखकर मुझे आश्चर्य हुआ । मेरी पत्नी शुद्ध शाकाहारी होने से उसे उलटियां होने लगी । के.एफ्.सी. के व्यवस्थापक की असावधानी के कारण पत्नी मानसिक दृष्टि से अस्वस्थ और अत्यंत तनाव में है, ऐसा परिवाद मैंने प्रतिष्ठान के पास प्रविष्ट किया ।

२. के.एफ्.सी. के व्यवस्थापक ने गुप्ता के परिवाद के बारे में कहा कि झूठा और फालतू कारण दिखाकर के.एफ्.सी. से पैसा निकालने तथा प्रतिष्ठान की अपकीर्ती करने के दुर्भावनापूर्ण और अंत:स्थ उद्देश्य से परिवाद किया गया है । परिवादी ने यह वस्तुस्थिती छिपाई कि मांगा हुआ पदार्थ उन्होंने जांचकर लिया था । हमारे पैकेज पर शाकाहारी पदार्थ के लिए हरा चिन्ह तथा मांसाहारी पदार्थ के लिए लाल चिन्ह है ।

३. मांग की रसीदों को देखकर ग्राहक न्यायालय ने बताया कि  के.एफ्.सी. ने रसीद में लिखे ‘वेज क्रिस्पर बर्गर’ के स्थानपर चिकन से भरा मांसाहारी क्रिस्पर बर्गर दिया था । यह बात परिवादी ने खींचे बर्गर के छायाचित्रों से स्पष्ट हो रही है । इससे के.एफ्.सी. के व्यवस्थापक में सेवा का अभाव और गैरसावधानी दिखती है । व्यवस्थापक परिवादी द्वारा दिए प्रमाणों का खंडन कने में पूर्णत: असफल रहा है । एक बात स्पष्ट हो रही है कि परिवादी को सेवा देते समय के.एफ्.सी. व्यवस्थापक ने गैरसावधानी दिखाई और परिवादी की पत्नी, जो शुद्ध शाकाहारी है, उसे अनुचित पद्धति से मांसाहारी पदार्थ दिया गया । इससे उनकी भावनाएं आहत हुई और उन्हें मानसिक कष्ट एवं तनाव का सामना करना पडा । इस मानसिक कष्ट की क्षतिपूर्ति के लिए परिवादी को ७ सहस्र रुपए तथा अभियोग के व्यय के लिए ५ सहस्र रुपए दिए जाए, ऐसा आदेश दिया गया ।

संपादकीय भूमिका 

ऐसे लोगों को केवल आर्थिक दंड कर छोड नहीं देना चाहिए, अपितु उन्हें कारावास का दंड भी दिया जाना चाहिए !