Kanwar Yatra : मुजफ्‍फरनगर (उत्तर प्रदेश) में कावड यात्रा के मार्ग पर स्थित दुकानों पर मालिक के नाम लिखने का राज्‍य सरकार का आदेश !

मुस्लिमों का आर्थिक बहिष्‍कार करने का प्रयास कहते हुए विपक्ष दलों द्वारा विरोध

मुजफ्‍फरनगर (उत्तर प्रदेश) – सरकार द्वारा दिए हुए आदेश के उपरांत मुजफ्‍फरनगर जिले के सभी दुकानदार, ढाबे, साथ ही फल-विक्रय करनेवालों ने अपनी दुकान एवं लौरियों पर अपने नाम लिखना आरंभ किया है । आगामी २२ जुलाई से कावड यात्रा का आरंभ होगा । इस पृष्ठभूमि पर प्रशासन द्वारा आदेश दिया गया है । सरकार का कहना है कि यात्रियों में संभावित भ्रम ,साथ ही कानून एवं सुव्‍यवस्‍था की संभावित समस्‍याएं टालने हेतु यह कदम उठाया गया है । कुछ दिन पूर्व ही मुजफ्‍फरनगर के विधायक एवं राज्‍य के मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने जिला स्‍तरीय बैठक में कहा था, ‘किसी भी प्रकार का विवाद टालने हेतु मुस्लिम अपने दुकानों के नाम हिन्दू देवी-देवताओं के न रखें’ । तदुपरांत प्रशासन ने उपर्युक्त आदेश दिया ।

१. वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने कहा, ‘कावड यात्रा की तैयारी जारी है । जिले के कावड यात्रा के मार्गों की कुल लंबाई अनुमान से २४० किलोमीटर है । इन मार्गों पर रहे सभी भोजनालयों में मालिक अथवा कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करना आवश्‍यक है । यह आदेश होटल, ढाबा अथवा लौरी के लिए प्रसारित किया गया है । यहीं से कावडयात्री खाद्यपदार्थ क्रय करते हैं ।”

२. राज्‍य के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कावड यात्रा की तैयारी का ब्यौरा लिया । उन्होंने सार्वजनिक निर्माणकार्य, सिंचाई एवं नगरविकास विभाग को आदेश देते हुए कहा, ‘यात्रा के मार्गों का शेष काम आगामी ७२ घंटों में पूर्ण करना होगा ।’ उन्होंने आगे कहा, ‘संपूर्ण कावड यात्रा मार्गों की स्‍वच्‍छता की जाए’ । यह क्रम पूरा माह चालू रखने की सूचना दी है । साथ ही मार्गों पर रोषनाई की व्‍यवस्‍था करने को भी कहा गया है ।

क्या है कावड यात्रा ?

सावन माह में उत्तर प्रदेश, देहली, हरियाणा एवं राजस्‍थान, इन राज्‍यों से लाखों भाविक उत्तरा खंड के हरिद्वार का गंगा नदी का पवित्र जल लेकर पैदल चलते हुए अपने जिलों में जाते हैं । वहां स्‍थानीय मंदिरों में इस जल द्वारा अभिषेक करते हैं । जल ले जाने हेतु वे कावड का उपयोग करते हैं । इसलिए इसे कावड यात्रा कहा जाता है ।


विपक्ष दलों द्वारा आलोचना

(और इनकी सुनिए…) ‘इस आदेश को न्‍यायालय स्वयं नोट करें !’ – अखिलेश यादव

अखिलेश यादव

१. समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष एवं सांसद अखिलेश यादव ने पोस्‍ट पर कहा है, ‘इस प्रकरण में न्‍यायालय को स्वयं नोट कर प्रशासन के हेतु की जांच कर उचित दंडात्‍मक कार्यवाही करनी चाहिए ।

सामाजिक सुलह एवं शांति बिगाडने को कारणीभूत यह आदेश देना, यह सामाजिक अपराध है ।’ (मुस्लिमों द्वारा मस्जिद के स्थान पर हिन्दुओं की धार्मिक शोभायात्रा पहुंचने पर आक्रमण किए जाते हैं, तब सुलह का वातावरण नहीं बिगडता क्या ? तब अखिलेश यादव कौन से बिल में छुप जाते हैं ? – संपादक)

२. ‍विख्यात गीतकार जावेद अख्‍तर ने पोस्‍ट पर कहा,

‘नाजी (जर्मन में हिटलर का प्रशासन) प्रशासन में दुकानों पर फलक लगाए गए थे।” (नाजियों ने करोडों ज्‍यू लोगों को गैस चेंबर में डालकर मार डाला था । इसके विपरित भारत में धर्मांध मुसलमान हिन्दुओं को मार डालते हैं । इस कारण जावेद अख्‍तर जानबूझकर हिन्दुओं को ‘नाजी’ प्रमाणित कर धर्मांध मुस्लिमों का समर्थन कर रहे हैं, यह ध्यान में रखें ! – संपादक)

३. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस एवं एम्.आइ.एम्. दलों ने इस आदेश का विरोध किया है ।

एम्.आइ.एम्. के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस सरकारी आदेश को दक्षिण अफ्रीका का वर्णभेद बताया है । (कश्‍मीर में वहां के मुस्लिमों ने हिन्दुओं को पलायन करने के लिए बाध्य किया था । क्या इस विषय में ओवैसी कभी बोलेंगे ? यह कौन सा द्वेष है , इस संदर्भ में वे कभी भी नहीं बोलते, यह ध्यान में रखें ! – संपादक)

४. तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस आदेश को संविधान के विरुद्ध बताया है । (बंगाल में प्रतिदिन जो कुछ हो रहा है, वह सब कुछ संविधान के अनुसार हो रहा है, क्या ऐसा मोइत्रा को कहना है ? – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

  • मूल में पूर्ण देश में ही इस संदर्भ में कानून बनाकर दुकान, होटल, इतना ही नहीं, अपितु लौरियों पर भी अपना नाम लिखना अनिवार्य करना चाहिए । उत्तर प्रदेश में ही नहीं, अपितु देश में अनेक स्थानों पर मुस्लिम मालिक अपनी दुकानों के नाम हिन्दुओं के देवी-देवताओं के रखकर हिन्दुओं को भ्रमित करते हैं । यह रोकने के लिए यह आवश्‍यक ही है !
  • थूक जिहाद, भूमि जिहाद, लव जिहाद आदि जिहाद रोकने हेतु यह उत्तम मार्ग है !
  • हिन्दुओं को आवश्‍यक न होते हुए भी हलाल प्रमाणपत्र के उत्पाद लेने के लिए बाध्य किया जाता है । तब विपक्ष दलों में से कोई भी इस विषय में नहीं बोलता । परंतु अब यदि सरकारी स्‍तर से अधिकृत पद्धति से जो सत्‍य है, वही लिखने का आदेश दिया जाता हो, तो इन लोगों को पेटदर्द क्यों होता है ?