S T Hasan : (और इनकी सुनिए…) ‘मस्जिद पर रहे भोंपू निकालनेवालों को कावड यात्रा के ‘डीजे’ बंद करने होंगे !’ – समाजवादी दल के नेता एस्.टी. हसन

समाजवादी दल के नेता एस्.टी. हसन का बकवास

(डीजे अर्थात बडा ध्वनिक्षेपक तंत्र)

समाजवादी दल को नेता एस्.टी. हसन

मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) – समाजवादी दल के नेता एवं माजी सांसद डॉ. एस्.टी.हसन ने कावड यात्रा के संदर्भ में वक्तव्य प्रस्तुत किया है । उन्होंने कहा, ‘मस्जिद में से अजान की (मुसलमानों को बडी आवाज में नमाज के लिए आमंत्रित करने की ) आवाज निर्धारित ६० डेसिबल्स के ऊपर जाते ही पुलिस मस्जिद पर लगे भोंपू निकाल देती है । परंतु दूसरी ओर कावड यात्रा के समय ‘डीजे’ बिनदिक्कत बजाए जाते हैं । जो लोग मस्जिद के भोंपू उतार देते हैं, उनको कावड यात्रा के ‘डीजे’ भी बंद करने चाहिए ।’ ऐसी मांग हसन ने की है । (वर्ष में एकबार कावड यात्रा के अवसर पर ‘डीजे’ बजाने से होनेवाला ध्वनिप्रदूषण मस्जिद के भोंपू से होनेवाले ध्वनिप्रदूषण की अपेक्षा बहुत ही नगण्य है, क्या यह बात समाजवादी दल के नेता ध्यान में लेंगे ? – संपादक)

मोहर्रम की राज्य सरकार ने हथियार पर प्रतिबंध लगाया है । सरकार के इस आदेश से हसन आगबबूला हो गए हैं । उन्होंने कहा, ‘यदि प्रतिबंध थोपने हों, तो वे सभी पर समानता से थोपे जाने चाहिए । सभी धार्मिक जुलूसों में हथियार पर प्रतिबंध लगाना चाहिए; फिर हमें कोई आपत्ति नहीं हैं, मोहर्रम के समय में ऐसे प्रतिबंध की क्या आवश्यकता थी ? मोहर्रम के जुलूस में अनेक वर्षों से मुसलमान अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं ।’ (सरकार राज्य में कानून एवं सुव्यवस्था बनाए रखने हेतु ऐसे निर्णय लेती है, क्या यह बात हसन जैसे लोकप्रतिनिधि नहीं जानते ? – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

  • ‘मस्जिद में प्रतिदिन ५ बार ध्वनिक्षेपक का उपयोग किया जाता है । जबकि कावड यात्रा वर्ष में एक बार ही होती है’, यह हसन के ध्यान में नहीं आता, ऐसा नहीं है; परंतु वे इसकी ओर जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं, इसे पहचानें !
  • कावड यात्रा केवल उत्तर भारत के कुछ राज्यों तक सीमित है, जबकि मस्जिद पर *लगे भोंपू देश के प्रत्येक कोने में बजते हैं । इस कारण उनकी तुलना ही नहीं हो सकती । क्या यह बात हसन को कोई बताएगा ?