छत्रपति संभाजीनगर – यहां का देवगिरि भुइकोट किला विश्व विख्यात है। शांतिब्रह्म संत एकनाथ महाराज के गुरु जनार्दनस्वामी इसी किले में रहते थे तथा उनकी समाधि भी इसी किले में है। इस किले पर स्थित भारतमाता की मूर्ति की नियमित रूप से पूजा की जाती है। इस पूजा पर रोक लगाने का तुगलकी आदेश पुरातत्व विभाग की ओर से दिया गया है। इस संबंध में विभाग ने एक पत्रक जारी किया है। इसको लेकर स्थानीय लोग क्रुद्ध हैं। यहां नियमित पूजा करने वाले पुजारी श्रीमान राजू काशीनाथ राव कांजुने हैं। पत्र में कहा गया है, ”राजू काशीनाथ राव कांजुने को पूजा करने से रोका जाना चाहिए और भविष्य में पूजा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।”
नानासाहब पेशवा ने इस किले पर संकट विनायक का मंदिर बनवाया। नानासाहब पेशवा ने इस मंदिर और जनार्दनस्वामी के समाधि स्थल पर पूजा-अर्चना आरंभ की। वर्ष १९४८ में हैदराबाद राज्य का भारत में विलय हो गया, उस समय सामाजिक एकता के प्रतीक के रूप में देवगिरी किले पर भारत माता की मूर्ति स्थापित की गई। यहां की मूर्तियों की पूजा का दायित्व पोखरे गुरुजी की है और मंदिर का प्रबंधन कांजुणे परिवार करता है।
अस्वच्छता की आपत्ति से पूजा पर रोक! – डॉ। शिव कुमार भगत, अधीक्षक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षणयह निर्णय कुछ पर्यटकों द्वारा भारतमाता मंदिर क्षेत्र में गंदगी के आरोप के बाद लिया गया। देवगिरी किला ‘नॉन लिविंग मॉन्यूमेंट’ की श्रेणी में आता है। अतः वहां किसी भी तरह की पूजा वर्जित है। मंदिर की साफ-सफाई का दायित्व हमारा है तथा इसके लिए हमारे पास कर्मचारी भी हैं।’ (मंदिर क्षेत्र अस्वच्छ है, अतः मंदिर में पूजा बंद करने का निर्णय ही आस्था पर आघात है! इसके विरुद्ध हिंदुओं को एकजुट होकर वैध रूप से मांग करनी चाहिए! – संपादक) अतः यदि किसी सरकारी विभाग में गंदगी है तो उस विभाग को बंद कर देना चाहिए और वहां काम करने वाले सभी लोगों को नौकरी से निकाल देना चाहिए! |
क्या औरंगजेब की कब्र पर भी यही मापदंड लागू होंगे? – अंबादास दानवे, विधान परिषद, नेता प्रतिपक्ष
यह किला ‘निर्जीव स्मारक’ कैसे हो सकता है, जबकि किले पर बने मंदिरों की पूजा स्वतंत्रता से पूर्व नहीं अपितु कई सदियों से होती आ रही है? क्या पुरातत्व विभाग और संस्कृति मंत्रालय दिंडी और गणेश पूजा पर भी प्रतिबंध लगाने जा रहे हैं? यदि हिंदू मंदिरों में पूजा पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है तो क्या औरंगजेब की कब्र पर भी यही मानदंड लागू किया जाएगा?
संपादकीय भूमिका
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