अनेक शारीरिक कष्ट होते हुए भी लगन के साथ हिन्दुत्व का कार्य करनेवाले वाराणसी व्यापार संगठन के अध्यक्ष श्री. अजीत सिंह बग्गा ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर जन्म-मृत्यु के चक्र से हुए मुक्त !

(बाएं से) श्री. अजित सिंह बग्गा को शिवजी की प्रतिमा भेंट करते हुए सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – अनेक शारीरिक कष्ट होते हुए भी लगन के साथ हिन्दुत्व का कार्य करनेवाले वाराणसी व्यापार संगठन के अध्यक्ष श्री. अजित सिंह बग्गा (आयु ६४ वर्ष) ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हुए हैं । हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ने १०.५.२०२४ को एक कार्यक्रम में यह आनंददायक घोषणा की । इस अवसर पर श्री. बग्गा की पत्नी श्रीमती लवप्रीत कौर, उनके बडे भाई श्री. गुलवंत सिंह बग्गा तथा चाचा श्री. इंद्रजीत सिंह सुहेल उपस्थित थे ।

सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ने श्री. अजित सिंह बग्गा द्वारा पिछले वर्ष के वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में दिए गए भाषण के कुछ अंश उनके परिजनों को दिखाए । उसके उपरांत सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ने सूक्ष्म ज्ञान-प्राप्तकर्ता साधकों को प्रतीत हुई श्री. बग्गाजी की कुछ गुणविशेषताएं बताईं ।

सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी के द्वारा श्री. अजीत सिंह बग्गा की बताई गई गुणविशेषताएं

१. श्री. अजित सिंह बग्गा के दोनों गुर्दे (किडनी) काम करना बंद कर चुके हैं । सप्ताह में दो बार उन्हें ‘डायलिसिस’ करना पडता है । इतनी गंभीर शारीरिक बीमारी होते हुए भी वे समाज की सहायता करने का कार्य निरपेक्षरूप से तथा समर्पित भाव से अखंड करते हैं । कोरोनाकाल में भी उन्होंने अपनी चिंता न कर समाज के लोगों की नित्य आवश्यकताएं पूर्ण करने के प्रयास किए ।

२. श्री. बग्गा कर्मयोगी हैं । समाज की ओर निरपेक्ष भाव से देखना, उनकी भक्ति का उदाहरण है । उनमें अहं अल्प होने के कारण ही वे निरपेक्ष भाव से समाज एवं राष्ट्र हेतु कार्य करते हैं ।


श्री. अजीत सिंह बग्गा का मनोगत

श्री. अजीत सिंह बग्गा

श्री. अजीत सिंह बग्गा में सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी के प्रति उच्च कोटि का भाव है । स्वयं की आध्यात्मिक प्रगति के विषय में सुनकर उनके मन में कृतज्ञता का भाव जागृत हुआ । अत्यंत विनम्र भाव से श्री. बग्गा ने कहा, ‘‘हमारे घर सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी के चरणस्पर्श हुए, यह हमारे लिए बहुत बडे सौभाग्य की बात है ।’’ कृतज्ञता के भाव से श्री. बग्गा ने सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी को सम्मानित किया । इस वर्ष श्रीराम नवमी से एक दिन पहले शारीरिक कष्ट के कारण श्री. बग्गा को चिकित्सालय के अतिदक्षता विभाग में भर्ती किया गया था; परंतु तब भी दूसरे दिन वे ध्वजपूजन हेतु निर्धारित स्थान पर आए थे । अत्यंत व्यस्त होते हुए भी वे समिति के उपक्रमों में सम्मिलित होते हैं तथा समिति के कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहने का प्रयास करते हैं  ।

 

क्षणिकाएं

१. श्री. बग्गा का आध्यात्मिक स्तर ६१ प्रतिशत घोषित होने के मंगल अवसर पर उनके चाचा श्री. इंद्रजीत सिंह सुहेल ने बताया कि श्री. अजीत सिंह बग्गा की इच्छाशक्ति इतनी प्रचंड है कि एक स्वस्थ व्यक्ति भी इतने परिश्रम नहीं उठा सकता । शारीरिक मर्यादाएं होते हुए भी वे इतना धर्मकार्य कर रहे हैं । कोई भी कार्य करते समय वे निरंतर उत्साहित तथा सकारात्मक होते हैं ।

२. श्री. बग्गा की पत्नी श्रीमती लवप्रीत कौर ने उनका मनोगत व्यक्त करते हुए कहा कि ईश्वर सर्वज्ञानी हैं, इसलिए किसी मनुष्य की क्या योग्यता है, इसे वे ही जानते हैं । वे ही बल दे रहे हैं तथा उनकी कृपा से ही यह सबकुछ हो रहा है ।