हिन्दुओं द्वारा नाम फलक तोड़ने पर मुसलमानों ने हिन्दू युवक को क्रूरता से पीटा!
काठमांडू (नेपाल) – नेपाल के रौतहट जिले में एक सप्ताह पहले मुसलमानों द्वारा एक गांव का नाम ‘इस्लामनगर’ रखने के बाद तनाव उत्पन्न हो गया है। इस नाम की फलक भी लगाई गई है। जैसे ही इस घटना की सूचना हिन्दूओं को हुई तो उन्होंने विरोध किया और नाम फलक हटा दी। इसी बात से क्रुद्ध होकर मुस्लिमों ने कुछ हिन्दू युवकों की पिटाई कर दी। सूचना मिलने पर पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया।
रौतहट जिले के गरुड़ नगर पालिका वार्ड नंबर ६ के पोथ्याही गांव के एक चौराहे पर मुसलमानों ने ‘इस्लामनगर’ लिखा हुआ एक फलक लगा दिया था। इस बोर्ड को हरा रंग दिया गया था। इस पर अरबी और उर्दू भाषा में कई शब्द लिखे हुए थे। फलक के दोनों ओर इस्लामी पूजा स्थलों के चित्र भी बनाए गए थे। यहां खड़े होकर एक मुस्लिम बुजुर्ग ने सेल्फी ली और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इसके बाद स्थानीय मुसलमान इस गांव को ‘इस्लामनगर’ कहने लगे।
Mu$l!ms Rename Village Name In Nepal; Hindu-majority village as ‘Islamnagar’; Kadam Chowk as ‘Madrasa Chowk’!
When Hindus broke the nameplate, Mu$l!ms brutally assaulted the Hindu youth!
Reportedly Police shielded the assailants
This situation in the Hindu-majority Nepal is… pic.twitter.com/Pq2cqIxNNs
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 27, 2024
गाँव में केवल ४ प्रतिशत मुसलमान हैं!
नेपाल में ‘हिंदू सम्राट सेना’ संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश यादव ने एक वृत्त संकेतस्थल को बताया कि पोथ्याही गांव में मुसलमानों के केवल १० घर हैं, जो गांव की कुल जनसंख्या का केवल ४ प्रतिशत है। (यदि ४ प्रतिशत मुसलमान ऐसा कर रहे हैं तो प्रश्न उठता है कि क्या हिन्दू ‘हिन्दू’ बनकर रहने के पात्र हैं? – संपादक) इसके पश्चात भी उन्होंने पूरे गांव का नाम बदलने की योजना बनाई थी। २३ जून को हिंदू सम्राट सेना के सदस्यों ने स्थानीय नागरिकों के साथ मिलकर इस्लामनगर में फलक हटा दिया। उस समय मुसलमान चुप थे; किंतु अंदर ही अंदर उन्होंने हिंसा करने का षड्यंत्र रच रखा था। २५ जून की रात ३ हिंदू युवक चौराहे से जा रहे थे। इस बार उन्हें १२ से अधिक मुसलमानों ने घेर लिया और फलक हटाने का आरोप लगाते हुए पहले अपशब्द कहे फिर पिटाई की। इसमे युवक गंभीर रूप से घायल हो गये। उन्हें उपचार के लिए चिकत्सालय में भर्ती कराया गया है। पिटाई करने वालों में चांद दीवान, रफीक, सिराजुल, मंजूर आदि सम्मलित थे। पिटाई का समाचार मिलते ही हिन्दू भड़क गए और विरोध प्रदर्शन किया।और पुलिस भी वहां पहुंच गई।
पुलिस पीटने वाले मुसलमानों की रक्षा करती है!
पुलिस ने हिन्दू युवकों को पीटने वाले मुसलमानों के विरोध मे कोई कार्यवाही नहीं की। (भारत की पुलिस जो कर रही है, वही नेपाल की पुलिस भी कर रही है! – संपादक) इतना ही नहीं, अपितु पुलिस ने उन मुसलमानों को संरक्षण भी दिया, जिन्होंने उन्हें पीटा था। नेपाली प्रशासन इस घटना को ‘आपसी विवाद’ बताकर रूप बदलने का प्रयास कर रहा है। पुलिस का कहना है कि मामले में कोई धार्मिक कारण नहीं है; लेकिन हिंदू संगठनों का कहना है कि पुलिस मामले को दबाने का प्रयास कर रही है।
हिंदू संगठनों का कहना है कि अधिकारी नेपाल की कम्युनिस्ट राजनीतिक पार्टी के दबाव में काम कर रहे हैं। सरकार मुसलमानों को खुश कर रही है।
हिंदू सम्राट सेना के राजेश यादव ने कहा कि हम और कुछ अन्य संगठन सरकार को एक आवेदन सौंपने जा रहे हैं। इस आवेदन में गांव का नाम बदलकर इस्लामनगर करने के षड्यंत्र की निंदा की जाएगी और हिन्दू युवक को पीटने वाले मुसलमानों के विरोध मे कार्यवाही करने की मांग की जाएगी।
कदम चौक का नाम रखा गया ‘मदरसा चौक’!
राजेश यादव ने यह भी कहा कि ३ महीने पहले रौतहट जिले के इसी गरुड़ नगर पालिका के जयनगर इलाके में मुसलमानों ने इसी तरह की षड़यंत्र रचा था। इसके बाद कुछ मुसलमानों ने कदम चौक का नाम बदलकर ‘मदरसा चौक’ रख दिया। यहां एक फलक भी लगाया गया। वह अभी भी वहीं है। इस वार्ड के अध्यक्ष शेख वहाब हैं। (धर्मनिरपेक्ष नेपाल में इस्लामी राज्य ! मुसलमान जहां का प्रमुख है, वहां धर्मनिरपेक्षता कभी नहीं हो सकती, वह इस्लामी राज्य ही है ! – संपादक)
संपादकीय भूमिकाहिन्दू-बहुल नेपाल की यह स्थिति हिन्दुओं के लिए लज्जास्पद है! यदि अगले कुछ दशकों में भारत, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश से हिन्दू विलुप्त हो जाएं तो आश्चर्यचकित न हों! |