Pakistan Minorities : पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति दयनीय ! – पाकिस्तान का मानवाधिकार आयोग

इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – ए.एन.आय. वृत्तसंस्था के अनुसार, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने कुछ समय पूर्व ही में अपना वार्षिक कार्य विवरण दिया है। इसमें पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों का विवरण दिया गया है। रिपोर्ट देश में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर प्रकाश डालती है। रिपोर्ट में हिंदू एवं ईसाई लड़कियों के उनकी ईक्षा के विरुद्ध धर्म परिवर्तन, अहमदिया मुस्लिम मस्जिदों पर आक्रमण तथा ऑनलाइन ईशनिंदा (पैगंबर मुहम्मद एवं कुरान का अपमान) से संबंधित बंदी बनाने के बढ़ते मामलों पर ध्यान दिया गया है। रिपोर्ट में पाकिस्तान में धार्मिक असहिष्णुता को खत्म करने और मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए तत्काल कार्यवाही की जरूरत बताई गई है।

पाकिस्तान में अहमदियों का दमन!

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक, विशेषकर अहमदी मुसलमान पाकिस्तान में बहुत असुरक्षित हैं। कट्टरपंथी अक्सर इस समुदाय को निशाना बनाते हैं। हालाँकि अहमदी खुद को मुस्लिम मानते हैं, लेकिन १९७४ में पाकिस्तान की संसद ने इस समुदाय को ‘गैर-मुस्लिम’ घोषित कर दिया। अहमदियों पर न केवल खुद को मुस्लिम कहने पर प्रतिबंध है, अपितु इस्लाम के कुछ पहलुओं का अभ्यास करने पर भी प्रतिबंध है। कहा जाता है कि १९५३ के लाहौर दंगों में अहमदिया समुदाय के २०० से २ हजार लोग मारे गए थे।

पाकिस्तान में सिर्फ २ प्रतिशत हिंदू!

पाकिस्तान में मुसलमानों के बाद हिंदू सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय है। हालाँकि, हिंदुओं की जनसंख्या पाकिस्तान की जनसंख्या का केवल २. १४ प्रतिशत (अनुमानित ४४ लाख ४० हजार लोग) है। उमरकोट जिले में सबसे अधिक ५२.२ प्रतिशत हिंदू जनसंख्या है, जबकि थारपारकर जिले में सबसे अधिक ७ लाख १४ हजार ६९८ हिन्दू हैं। पाकिस्तान में हिन्दू मुख्य रूप से सिंध में हैं, जहां सबसे ज्यादा हिन्दू रहते हैं।

भारत के विभाजन से पहले १९४१ की जनगणना के अनुसार, पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) में हिन्दूओं की आबादी १४.६ प्रतिशत और पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में २८ प्रतिशत थी। ब्रिटिश शासन से पाकिस्तान की आजादी के बाद, पश्चिमी पाकिस्तान से ४७ लाख हिंदू और सिख शरणार्थी के रूप में भारत आए। तब पहली जनगणना (वर्ष १९५१) में हिन्दूओं की जनसंख्या पश्चिमी पाकिस्तान की कुल जनसंख्या का १.६ प्रतिशत और पूर्वी पाकिस्तान की २२ प्रतिशत थी।

पाकिस्तान में हिन्दूओं के साथ-साथ अन्य अल्पसंख्यकों के विरोध हिंसा तथा भेदभाव के अनेक प्रकरण सामने आए हैं। कठोर ईशनिंदा कानून के कारण हिन्दूओं के विरुद्ध हिंसा व अत्याचार के प्रकरण भी सामने आ रहे हैं।

पाकिस्तान में शेष कुछ सहस्त्र सिख!

१९४१ की जनगणना के अनुसार सिख जनसंख्या लगभग १६ लाख ७० सहस्त्र थी। सिख विशेष रूप से पश्चिमी पंजाब में केंद्रित थे। विभाजन के समय पाकिस्तान में हुए हिंसक दंगों के कारण सिखों की एक बड़ी जनसंख्या पाकिस्तान के पश्चिमी पंजाब को छोड़कर भारत आ गई। पाकिस्तान में सिखों की जनसंख्या को लेकर अलग-अलग राय है. पाकिस्तान सरकार के राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण के अनुसार, वर्ष २०१२ में पाकिस्तान में ६,१४६ सिख पंजीकृत थे। सेंटर फॉर सिख रिसोर्सेज एंड स्टडीज के २०१० के सर्वेक्षण के अनुसार, पाकिस्तान में ५० सहस्त्र सिख हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग सहित अन्य स्रोतों का मानना है कि पाकिस्तान में सिख जनसंख्या अनुमानित २० सहस्त्र है। कुछ अन्य अनुमान के अनुसार यह २० से ५० सहस्त्र तक हो सकता है। पाकिस्तान में अन्य अल्पसंख्यकों की भाती सिखों को भी भेदभाव एवं अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

संपादकीय भूमिका

इस स्थिति को बदलने के लिए सबसे पहले भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होना आवश्यक है!