पाटलीपुत्र (बिहार) – पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार के आरक्षण की सीमा बढाने का निर्णय रहित किया है । सरकार ने अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछडेजाति के एवं आर्थिक दृष्टि से पिछडे लोगों को शैक्षिक संस्था एवं सरकारी नौकरी में आरक्षण ५० प्रतिशत से ६५ प्रतिशत करने का निर्णय लिया था । उसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी । न्यायालय ने इस प्रकरण की सुनवाई होने के उपरांत ११ मार्च को निर्णय रोक दिया था ।
Patna High Court scraps 65% quota for backward classes
Bihar Assembly passed the Reservation Amendment Bill in 2023; The bill limited the space for those coming from the open merit category to 25 percent
Violates equality clause under Articles 14, 15, and 16 pic.twitter.com/NdtLKjsfSa
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 20, 2024
बिहार सरकार ने ९ नवंबर २०२३ को विधानसभा में विधेयक पारित कर आरक्षण के प्रतिशत आंकडें बढा दिए थे । इसके विरुद्ध शिकायतकर्ता ने किए हुए तर्कवाद में बिहार सरकार का निर्णय संविधान के धारा १६ (१) एवं धारा १५ (१) का उल्लंघन करता है, ऐसा कहा था । आरक्षण दिए हुए लोगों को उनकी जनसंख्या की अपेक्षा उनके सामाजिक एवं शैक्षिक पिछडेपन पर आधारित आरक्षण होना चाहिए, ऐसी मांग की गई थी ।