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(उम्मीदवार को नकार देने के लिए किए मतदान को ‘नोटा’ कहते है। इसमें चुनाव में खडे उम्मीदवारों में से कोई भी पात्र नहीं लगा, तो मतदाता ‘नोटा’ का बटन दबाकर अपना मत व्यक्त करता है।)
मुंबई, १८ जून (संवाददाता) – हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में देश में कुल ६७ लाख ८८ सहस्र ४९२ मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना। वर्ष २०१९ के लोकसभा चुनाव में ६५ लाख १३ सहस्र ३५५ मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना था। वर्ष २०१९ की तुलना में वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनाव में नोटा का उपयोग करनेवालों की संख्या २ लाख ७५ सहस्र १३७ से बढी है। वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनाव में बिहार में नोटा का उपयोग सर्वाधिक अर्थात ८ लाख ९७ सहस्र ३२३ मतदाताओं ने किया। नोटा का विकल्प चुननेवालों में महाराष्ट्र ८ वे स्थान पर है। महाराष्ट्र में कुल ४ लाख १५ सहस्र ५८० मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया।
देश में नोटा का उपयोग करनेवालों में छत्तीसगढ दूसरे स्थान पर है। वहां ५ लाख ९९ सहस्र २४४ मतदाताओं ने यह विकल्प चुना। तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश में ५ लाख ३२ सहस्र ६६७ मतदाताओं ने, चौथे स्थान पर बंगाल में ५ लाख २२ सहस्र ७२४ मतदाताओं ने, पाचवें स्थान पर तमिलनाडु में ४ लाख ६१ सहस्र ३२७ मतदाताओं ने, छठे स्थान पर गुजरात में ४ लाख ४९ सहस्र २५२, तो ७ वे स्थान पर उत्तर प्रदेश में ६ लाख ३४ सहस्र ९७१ मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना। लक्षद्वीप में नोटा को सब से अल्प अर्थात १३२ मत मिले। भारत के १६ राज्यों में नोटा को १ लाख से अधिक मत मिले हैं।
महाराष्ट्र के १६ मतदाता संघों में १० सहस्रों से अधिक मतदाताओं द्वारा नोटा का उपयोग !
महाराष्ट्र में नोटा में घटाव !
वर्ष २०१९ के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में ४ लाख ८८ सहस्र ७६६ मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया था। वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में ४ लाख १५ सहस्र ५८० मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया। अर्थात वर्ष २०१९ की तुलना में वर्ष २०२४ में नोटा का उपयोग करनेवालों की संख्या ७३ सहस्र १८६ से अल्प हुई। वर्ष २०२४ में महाराष्ट्र के बीड जिले में सब से अल्प अर्थात २ सहस्र ८७ मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया था।
संपादकीय भूमिकाभारत में ६७ लाख से अधिक मतदाताओं द्वारा ‘नोटा’ का विकल्प चुनना, इसका अर्थ ऐसा ही है कि उम्मीदवार अपात्र है, ऐसा इतनी बडी मात्रा में मतदाताओं को लगा। राजनीतिक दल क्या इसपर गंभीरता से विचार करेंगे ? |