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नई देहली – कहा जाता है कि देश में अवैध पद्धति से स्थायी बने लाखो रोहिंग्या घुसपैठिए मुस्लिमों को वापस भेजने हेतु भारत सरकार प्रयास कर रही है । वर्ष २०१७ तक घुसपैठियों की संख्या ४० सहस्र थी । वर्ष २०१२ से २०१७ की समयावधि में वह अनेक गुना अधिक हो गई । अब नई जानकारी के अनुसार प्रतिमाह २०० से अधिक रोहिंग्या मुस्लिमों ने बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ की है ।
ये घुसपैठिए असम, बंगाल, त्रिपुरा, मिजोराम, मेघालय, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात एवं केरल इन १४ राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेश में स्थायी रूप से बस गए हैं । ये सभी काम अंतर्राष्ट्रीय मानवी तस्करी करनेवाले दल करते हैं ।
रोहिंग्या मुस्लिमों के संदर्भ में धक्कादायक बातें उजागर !
कुछ दिन पूर्व ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मानवी तस्करी टोली के प्रमुख जलील मियां को बंदी बनाया था । उसकी जांच में आगेकी धक्कादायक बातें सामने आई हैं ।
१. जलील मियां त्रिपुरा निवासी है । उसके सहयोगी मियां एवं शांतो, अभी तक फरार हैं ।
२. पुलिस द्वारा की गई जांच में मियां के गुट के २९ लोगों को बंदी बनाया गया है ।
३. भारत में स्थायी होने इच्छुक रोहिंग्या मुस्लिमों को १० से २० लाख रुपए (१४ से २८ लाख बांग्लादेशी टका) दिए जाते है, साथ ही उन्हें सीमापार से फर्जी भारतीय पहचानपत्र द्वारा भारत में लाया जाता है ।
४. ऐसे लोगों को भारतीय उच्चारणों सहित हिन्दी बोलने का प्रशिक्षण दिया जाता है । उन्हें असमिया, साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं में संवाद करने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि रोहिंग्या घुसपैठियों के भारत में आने के उपरांत उनके उच्चारण पर से वे पहचाने न जा सकें ।
५. प्रतिदिन ५ से १० रोहिंग्या भूमिगत सुरंग से भारत में घुसपैठी करते हैं । इस के लिए असम, मिजोराम, मेघालय एवं त्रिपुरा राज्यों की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे हुए क्षेत्रों में भूमिगत सुरंगों का निर्माण किया गया है ।
६. भारत में घुसपैठी करने के पश्चात राजधानी देहली रोहिंग्याओं का प्रमुख स्थान है । देहली के जसोला, यमुना नदी का तट, श्रम विहार, कांचन विहार एवं मदनपुर खादर, इन स्थानों में रोहिंग्या बडी संख्या में अवैध निवास कर रहे हैं ।
संपादकीय भूमिका
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