पुणे (महाराष्ट्र) – कल्याणीनगर ‘ पोर्शे’कार दुर्घटना मे नाबालिक आरोपी के रक्त के नमूने बदलने के मामले में ससून अस्पताल के डॉ. अजय तावरे को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है । डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड मामले मे डॉ तावरे ने शव परीक्षण किया है और इस मामले मे सबूत गायब करने का उन पर शक है ।ऐसा समाचार ‘हिंदुस्तान पोस्ट’, इस जालस्थल ने प्रसारित किया है ।
इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि,
१. चूंकि ससून अस्पताल एक सरकारी अस्पताल है, इसलिए हत्या या दुर्घटना में आरोपियों की शारीरिक जांच, उनके खून की जांच, मृतक की शव परीक्षण रिपोर्ट को इस अस्पताल में साबित किया जाता है और इन रिपोर्टों को अदालत में सबूत के रूप में स्वीकार किया जाता है।
२. जब डॉ. दाभोलकर की हत्या हुई तो उनका शव परीक्षण डॉ.तावरे ने किया था। आरोपी के वकील ने उसके द्वारा दी गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर बहस के दौरान कई सवाल उठाए । आरोपी के वकील ने अदालत को बताया था कि रिपोर्ट में खुलेआम कुछ छिपाया गया है।
३. शव परीक्षण के दौरान रिपोर्ट में डॉ. दाभोलकर के दाहिने घुटने और अगले पैर पर लगी चोटों का जिक्र नहीं किया गया, जैसा कि उनके रिश्तेदारों ने बताया था। इसका उल्लेख डाॅ.तावरे ने ही गायब किया था । पोस्टमार्टम से पहले डॉ. दाभोलकर के शव की तस्वीर ली गई थी । इसमें डाॅ. दाभोलकर की गर्दन पर एक लंबा बाल नजर आ रहा था । यह बाल जब डाॅ. अजय तावरे को कोर्ट में दिखाया गया तो उन्होंने कहा कि ये कोई बाल नहीं बल्कि एक धागा है । इस अत्यंत महत्वपूर्ण सबूत को संभालकर रखे बिना डॉ. अजय तावरे द्वारा गायब कर दिया गया।
४. डॉ तावरे ने अदालत में स्वीकार किया कि शव परीक्षण के जो नियम है उसका पालन नहीं किया गया। शव परीक्षण की ‘वीडियोटेपिंग’ करते समय, उन्हें लगातार के बजाय हर बार रोका गया। क्या यह निर्णय डाॅ.अजय तावरे का था ? ऐसा सवाल इस मौके पर उठ रहा है ।
५. डॉ. दाभोलकर हत्याकांड में और भी संभावनाएं थीं । अगर शव का परीक्षण ठीक से हुआ होता तो जांच में और भी बातें सामने आ सकती थीं; लेकिन डॉ. अजय तावरे द्वारा की गई संदिग्ध शव परीक्षण रिपोर्ट से ये बातें सामने नहीं आईं। यह कहना होगा कि डॉ.अजय तावरे द्वारा जानबूझकर ये बातें उल्लेख न करने के कारण इस मामले में महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो गए।