कालानुसार आवश्यक देवीमांकी उपासना

मूर्ति शास्त्रानुसार बनाई जाए, तो ही देवताका तत्त्व आकृष्ट होता है । ध्यान रहे, जहां देवताका शब्द अर्थात नाम है, वहां उनकी शक्ति भी होती है । इसलिए ऐसा करना अनुचित है । श्रद्धा, देवताओंकी उपासनाकी नींव है । देवताओंका अनादर श्रद्धाको क्षति पहुंचाता है ।

शारदीय नवरात्रि : धर्मशिक्षा

२६ सितंबर (आश्विन शुक्ल प्रतिपदा) से ४ अक्टूबर (आश्विन शुक्ल नवमी) की अवधि में शारदीय नवरात्रोत्सव मनाया जाएगा । पूरे भारत में अत्यंत उत्साह एवं भक्तिमय वातावरण में नवरात्रि के व्रत का पालन किया जाता है ।

महामाया आदिशक्ति की शरण में जाना ही एकमात्र उपाय है !

‘मनुष्य रूप के देवता अथवा असुर को पहचान न पाना भी आदिशक्ति की योगमाया होना

देवताओं की उपासना भक्तिभाव से करें !

शक्ति शब्द का क्या अर्थ है, शक्तिद्वारा धारण किए ३ मुख्य रूप एवं उनकी विशेषताएं कौनसी हैं, श्री लक्ष्मी एवं दुर्गा, पार्वती एवं काली माता आदि की क्या विशेषताएं हैं, ‘गंगा’ एवं ‘नर्मदा’, इन नदियों की आध्यात्मिक विशेषताएं कौनसी हैं आदि प्रश्नों के उत्तर इस ग्रन्थ में दिए हैं ।

देवी की उपासना

विशिष्ट फूलोंमें विशिष्ट देवताके पवित्रक, अर्थात् उस देवताके सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण आकर्षित करनेकी क्षमता अन्य फूलोंकी तुलनामें अधिक होती है । स्वाभाविक है कि, ऐसे फूल देवताकी मूर्तिको चढाना मूर्तिको जागृत करनेमें सहायक हैं । इससे मूर्तिके चैतन्यका लाभ हमें शीघ्र मिलता है । इसलिए विशिष्ट देवताको विशिष्ट फूल चढाना महत्त्वपूर्ण है ।