स्वतंत्रता से लेकर अभी तक की शालेय शिक्षा की दुर्दशा !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

‘अन्य देशों का इतिहास अधिकाधिक २ – ३ सहस्र वर्ष का है, जबकि भारत का लाखों वर्षों का, युगों युगों का है । यह पाठशाला में नहीं पढाया जाता । मुग़लों और अंग्रेजों के भारत पर राज का इतिहास पढाया जाता है; परंतु उसमें भी ‘वैसी स्थिति क्यों हुई, पुनः वैसा न हो; इसके लिए क्या करें’, यह नहीं पढाया जाता । स्वतंत्रता से लेकर अभी तक के शासनकर्ता इसके लिए उत्तरदायी हैं । हिन्दू राष्ट्र में ही यह चूक सुधारी जाएगी ।’

✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक