हिन्दुओ, लव जिहाद को उसी भाषा में उत्तर देने का विचार न करें !
‘लव जिहाद के संदर्भ में कुछ करने के इच्छुक एक युवक ने पूछा, ‘लव जिहाद’ करनेवाले अर्थात हिन्दू युवतियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनसे विवाह करनेवाले धर्मांधों को प्रत्युत्तर देने हेतु हम भी धर्मांधों की लडकियों के संदर्भ में वैसा ही करें क्या ?’ – इसका उत्तर है-हिन्दू युवतियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनसे विवाह करनेवाले धर्मांधों को पाप लगता है । वह उन्हें भोगना ही पडता है । यदि हिन्दुओं ने ऐसा किया, तो उन्हें भी पाप भोगना पडेगा । ऐसा न हो, इसके लिए वे हिन्दू युवतियों को धर्मशिक्षा देने पर अपना ध्यान केंद्रित करें ।’
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थकों की निम्नतम सीमा की अधोगति !
‘आगे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थक मानने लगेंगे, ‘हमें बलात्कार, भ्रष्टाचार, हत्या इत्यादि सब करने का अधिकार है; परंतु वे कभी दूसरे की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का, उदा. बलात्कार पीडित की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विचार नहीं करेंगे । इतना ही नहीं, वे धर्म पर भी अत्याचार बढाने लगेंगे !’
हिन्दुओं के ज्योतिषशास्त्र की महिमा !
‘कहां आगे कुछ वर्षों में क्या होनेवाला है, इसका अनुमान बुद्धि का उपयोग कर लगानेवाले पश्चिमी; और कहां युगों-युगों के संदर्भ में बतानेवाला ज्योतिषशास्त्र !’
आतंकवादियों की कार्यपद्धति
‘विमान, रॉकेट, बम आदि के बल पर नहीं; अपितु प्रशिक्षित आतंकवादियों के बल पर वे संसार के सभी देशों में भय उत्पन्न कर रहे हैं !’
केवल हिन्दू धर्म में अनेक देवी-देवता क्यों हैं ?
कुछ अन्य धर्मीय हिन्दुओं को चिढाते हैं, ‘भगवान एक ही है, तो आपके धर्म में अनेक देवी-देवता क्यों है ?’ ऐसे अध्ययन शून्य व्यक्तियों की समझ में यह बात नहीं आती कि हिन्दू धर्म सर्वाधिक परिपूर्ण धर्म है । यदि पश्चिमी चिकित्साशास्त्र का उदाहरण देखें, तो यह समझ में आएगा कि प्राचीन काल में विविध रोगों पर उपलब्ध औषधियों की संख्या सीमित थी । जैसे-जैसे विज्ञान ने प्रगति की, वैसे-वैसे औषधियों की संख्या बढती गई । उसी प्रकार परिपूर्ण हिन्दू धर्म में अनेक देवी-देवता हैं । ऐसा होते हुए भी हिन्दू धर्म में भी परमेश्वर अथवा ब्रह्म एक ही हैं ।’
हिन्दुओ, कम से कम इसके लिए तो साधना करें !
‘यदि चीन ने भारत पर आक्रमण किया, तो नक्सलवादी और साम्यवादी चीन की सहायता
करेंगे । यदि पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया, तो जिहादी पाकिस्तान की सहायता करेंगे; परंतु हिन्दुओं की सहायता के लिए ईश्वर के अतिरिक्त और कौन हैं ? ईश्वर की सहायता पाने के लिए हिन्दुओ, साधना करो !’
कर्मकांड का महत्त्व !
‘बुद्धिप्रमाणवादी हिन्दू धर्म के कर्मकांड को ‘कर्मकांड’ कहकर नीचा दिखाते हैं; परंतु कर्मकांड का अध्ययन करें, तो यह समझ में आता है कि उसमें प्रत्येक बात का कितना गहन अध्ययन किया गया है !’
विज्ञान की तुलना में अध्यात्म श्रेष्ठ !
‘विज्ञान के विषय माया से संबंधित होते हैं, जबकि अध्यात्म के विषय ईश्वरप्राप्ति से संबंधित होते हैं । इसके परिणामस्वरूप विज्ञान के कारण मनुष्य अधिक और अधिक माया में फंसता चला जाता है, जबकि अध्यात्म माया से पीछा छुडाने में सहायता करता है ।’
भक्तिभाव रहित लोगों को मंदिर का उत्तरदायित्व सौंपना धर्मद्रोह है !
‘जो वैद्य नहीं, उन्हें सरकार रोगियों पर उपचार करने के लिए नहीं कहती । सरकार को न्यायालय में याचिका करनी हो, तो जो अधिवक्ता नहीं उससे नहीं कहती; परंतु मंदिर का प्रबंधन संभालने के लिए भक्तिभाव रहित लोगों को सरकार मंदिरों का उत्तरदायित्व सौंपती है । इसलिए मंदिरों में भ्रष्टाचार होता है तथा मंदिरों की सात्त्विकता भी नष्ट होती जा रही है ! हिन्दू राष्ट्र में अच्छे भक्तों के पास ही मंदिरों का दायित्व होगा !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले