वेदमंत्रोच्‍चारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों संपन्‍न हुआ रामजन्‍मभूमिपूजन का ऐतिहासिक समारोह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी २८ वर्षों उपरांत अयोध्‍या आए हैं । इससे पूर्व वह रामजन्‍मभूमि आंदोलन के समय अयोध्‍या आए थे ।

आपातकाल में जीवनरक्षा हेतु आवश्‍यक पूर्वतैयारी

आपातकाल संबंधी इस लेखमाला में अभी तक हमने ‘भोजन के अभाव में भूखे न रहना पडे, इसके लिए क्‍या करें’, साथ ही अनाज का रोपण, गोपालन इत्‍यादि विषय देखे । मनुष्‍य पानी के बिना नहीं जी सकता और बिजली के बिना जीवन जीने की कल्‍पना भी नहीं कर सकता ।

परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्‍वी विचार

‘जो ऋषि-मुनि साक्षात ईश्‍वर का शोध कर पाए, उनके लिए वर्तमान वैज्ञानिकों और शास्‍त्रज्ञों की खोज खिलौने समान लगती होगी !’

हिन्‍दू जनजागृति समिति आयोजित ‘ऑनलाइन’ नवम ‘अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ का लाभ लाखों धर्मप्रेमियों ने लिया !

हिन्‍दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘ऑनलाइन’ नवम ‘अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ का लाभ लाखों धर्मप्रेमियों यू ट्यूब, फेसबुक और ट्‍विटर के माध्‍यम से करवाकर लिया, उसका संक्षिप्‍त ब्‍योरा बाजू में दिया है ।

कोरोना संकटकाल में गणेशोत्‍सव कैसे मनाना चाहिए ?

‘आजकल पूरे विश्‍व में कोरोना महामारी के कारण सर्वत्र ही लोगों के बाहर निकलने पर अनेक बंधन लगे हुए हैं । भारत के विविध राज्‍यों में भी यातायात बंदी (लॉकडाउन) लागू है ।

‘स्वयं की चल और अचल संपत्ति का ‘सत्पात्रे दानम्’ हो’, इस उद्देश्य से यदि वे सनातन संस्था को दान करने के इच्छुक हों, तो अपने जीवनकाल में ही अर्पण करें !

‘सनातन संस्था गत अनेक वर्षों से धर्मप्रसार का कार्य निःस्वार्थ और निरपेक्ष रूप से कर रही है । पूरे भारत में विविध स्थानों के साधक धर्मप्रसार का कार्य अविरत कर रहे हैं तथा इस कार्य से अनेक पाठक, हितचिंतक और धर्मप्रेमी जुडे भी हैं ।

धर्म-परिवर्तनके दांवपेंचोंसे सावधान !

सनातन की ग्रंथमाला :  हिन्‍दुआें के वंशनाश हेतु छल, कपट, प्रलोभन, बल इत्‍यादि द्वारा योजनाबद्ध हो रहा धर्मांतर धर्म-परिवर्तन द्वारा भारत को ‘पूर्व का रोम’ व ‘मुगलस्‍थान’ बनाने का पंथांधों का षड्‌यंत्र

सनातन संस्था की ओर से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में ऑनलाइन प्रवचन

फरीदाबाद (हरियाणा) – सनातन संस्था की ओर से साधना का हमारे जीवन में महत्त्व व शास्त्रानुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाएं, इस विषय पर देहली व फरीदाबाद के जिज्ञासुओं के लिए ऑनलाइन प्रवचन का आयोजन किया गया ।

भाव के मूर्तिरूप हैं झारखंड निवासी सनातन के ७३ वें संत पू. प्रदीप खेमकाजी !

संत होने के उपरांत भी पू. खेमकाजी सेवा संबंधी सभी सूत्र उस सेवा से संबंधित उत्तरदायी साधक से पूछते हैं । उनका अनुभव भी बहुत है; परंतु वे अपने मन से कुछ नहीं करते हैं ।