Missionary School Harass Hindu Student : बलिया (उत्तर प्रदेश) में ‘सेंट मेरी’ विद्यालय के कक्ष अध्यापक (क्लास टीचर) ने हिन्दू छात्र की काट दी चोटी !

छात्र की मां ने विद्यालय में जाकर परिवाद किया, इसलिए मुख्य अध्यापक तथा अन्य अध्यापकों ने उसके साथ भी किया अभद्र व्यवहार !

बलिया (उत्तर प्रदेश) – यहां के ‘सेंट मेरी’ नामक मिश्नरी विद्यालय में चौथी कक्षा में पढनेवाले प्रभाकर नाम के एक हिन्दू छात्र की चोटी उसके ही कक्ष के अध्यापक ने काट देने की घटना सामने आई है । पीडित छात्र के तिलक लगाने पर भी अध्यापक ने आपत्ति उठाई । इतना ही नहीं, अपितु छात्र की मां विद्यालय में परिवाद करने गई, तो उसके साथ भी अभद्र व्यवहार किया । बताया जा रहा है कि यह घटना २ मई को हुई । इस मामले में छात्र के पिता विवेकानंद सिंह ने विद्यालय के अध्यापक तथा मुख्य अध्यापक के विरुद्ध पुलिस में परिवाद प्रविष्ट (दाखिल) करने के उपरांत उनके विरुद्ध अपराध प्रविष्ट किया गया ।

१. बलिया के मरियमपूर राघोपूर के ‘सेंट मेरी स्कूल’ की मुख्य अध्यापिका का नाम सिस्टर दया दास है । विद्यालय में धर्मांतरण का षड्यंत्र भी रचा जा रहा है, ऐसी आशंका पीडित छात्र के परिवाद में व्यक्त की गई है ।

२. विवेकानंद सिंह का आरोप है कि कक्ष के अध्यापक ने चोटी रखने के कारण प्रभाकर को गली-गलौच की । अध्यापक ने कहा कि तुम चोटी रखकर विद्यालय में कैसे आए हो ? चोटी रखना तथा तिलक लगाना विद्यालय में पूर्णतः प्रतिबंधित है । ऐसा कहकर कक्ष के अध्यापक ने प्रभाकर की चोटी कैंची से काट दी ।

३. प्रभाकर की मां जब इस घटना के विरुद्ध विद्यालय में परिवाद करने पहुंची, तब अध्यापक और मुख्य अध्यापक दोनों ने मिलकर ‘तुमको जो करना है, करो !’ ऐसा उद्दंड भाषा में उन्हें उत्तर दिया । विवेकानंद ने परिवाद में यह भी कहा है कि यह हिन्दू धर्म का अनादर है ।

संपादकीय भूमिका 

  • मिश्नरी विद्यालयों का सत्य स्वरूप समझ लें ! धार्मिक स्वतंत्रता का यह हनन है । बहुसंख्यक हिन्दुओं के देश में उनपर ही ऐसी परिस्थिति आना, हिन्दुओं के लिए लज्जाजनक !
  • मदरसों की भांति ही ईसाइयों के मिश्नरी विद्यालय धर्म की आड में हिन्दू छात्रों का उत्पीडन करते हैं, ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आती रहती हैं । इसलिए मदरसों की भांति यदि कोई मिश्नरी विद्यालय बंद करने की मांग करेगा, तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं लगना चाहिए !
  • विद्यालय में हिजाब परिधान करने को ‘धार्मिक स्वतंत्रता’ संबोधित करनेवाले अब इस मामले में हिन्दू छात्र द्वारा चोटी रखना और तिलक लगाना, इन कृत्यों का समर्थन क्यों नहीं करते ?