सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला ।
नई देहली – हिंदू विवाह में अगर जरूरी रस्में नहीं निभाई गईं तो वो विवाह स्वीकारा नहीं जा सकता। ऐसे विवाह अमान्य माने जायेंगे। पंजीकृत होने पर भी ये विवाह मान्य नहीं होंगे; क्योंकि हिंदू विवाह में सप्तपदी जैसी रस्में बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए दिया है। न्यायमूर्ति बी. नागरत्ना की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि ‘विवादों की स्थिति में ऐसे अनुष्ठानों को सबूत माना जाता है ।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए बयान !
युवाओं को सोचना चाहिए कि हिन्दू विवाह संस्था कितनी पवित्र है !
हिंदू विवाह एक संस्कार है और भारतीय समाज में विवाह को एक महत्वपूर्ण संस्था का दर्जा दिया जाना चाहिए। जब युवा लोग विवाह के बारे में सोचते हैं तो उन्हें यह सोचना चाहिए कि भारतीय समाज में विवाह की संस्था कितनी पवित्र है।
शादी कोई नाचना, गाना, खाना, शराब पीना नहीं है !
विवाह नाच-गाने, खाने-पीने या दहेज सहित अनावश्यक वस्तुओं के आदान-प्रदान का आयोजन नहीं है। भारतीय समाज में यह एक महत्वपूर्ण समारोह है। इस समारोह के माध्यम से एक पुरुष और एक महिला के बीच एक विशेष रिश्ता बनाया जाता है, जिससे उन्हें पति और पत्नी का दर्जा मिलता है ।