तेलंगाना हाईकोर्ट ने होटल मैरियट पर वक्फ बोर्ड के दावे को किया खारिज

वक्फ बोर्ड की ५० साल की लड़ाई !

भाग्यनगर (तेलंगाना) – पिछले ५० वर्षों से वक्फ बोर्ड ने तेलंगाना उच्च न्यायालय में दावा किया था कि प्रसिद्ध पांच सितारा होटल ‘मैरियट’ उसकी जमीन पर बनाया गया था। हालांकि, अदालत ने वक्फ बोर्ड के दावे को “कदाचार” करार देते हुए होटल को एक बड़ी राहत दी। तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति अनिल कुमार जुकांती की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया।

वर्ष १९६४ में अब्दुल गफूर नाम के एक व्यक्ति ने इस होटल के खिलाफ ‘वक्फ अधिनियम १९५४ के तहत मामला दर्ज कराया था, जिसे तब ‘वायसराय’ के नाम से जाना जाता था, यह कहते हुए कि इस होटल पर वक्फ बोर्ड का अधिकार था। वक्फ बोर्ड ने इस मामले को लगभग ५० वर्षों तक कानूनी रूप से अधर में लटकाए रखा। २०११४ में, बोर्ड ने कानूनी कार्रवाई की धमकी देते हुए होटल मैरियट के खिलाफ एक समाचार-पत्र के माध्यम से नोटिस जारी किया। होटल मैरियट के निदेशकों ने भी वक्फ बोर्ड द्वारा कानूनी कार्रवाई की धमकी पर अदालत में मुकदमा दायर किया। इस जवाब में वक्फ पर अदालत के पुराने आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था। आखिरकार यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। अदालत ने वक्फ बोर्ड की याचिका को शुरू से ही अवैध बताते हुए खारिज कर दिया। इस समाचार को वक्फ बोर्ड के विरूद्ध अन्य मामलों में नज़ीर की तरह उपयोग में लाया जाना चाहिए ।

संपादकीय भूमिका 

यह एक उदाहरण है कि कैसे १९९५ के राक्षसी वक्फ अधिनियम की आड़ में भारत का इस्लामीकरण किया जा रहा है ! इसलिए वक्फ अधिनियम को ही निरस्त करने का प्रयास किया जाना चाहिए !