पंढरपुर के परिवार देवताओं में से एक श्री गणपति की मूर्ति विधि न करते हुए हटाए जाने का भक्तों को संदेह !

पंढरपुर(महाराष्ट्र) – राज्य के लाखों भक्तों के आस्थास्थान विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर के लिए राज्य सरकार ने ७३ करोड रुपए का प्रावधान पारित किया है । इस निधि के माध्यम से मंदिर समूह तथा परिवार देवताओं के मंदिरों का जतन किया जा रहा है । इसमें पहले स्तर का काम चालू है । इसके अंतर्गत ४ अप्रैल को नामदेव सीढी के समीप परिवार देवताओं में से एक श्री गणेश जी की मूर्ति कोई भी पूजा न करते हुए हटाए जाने का संदेह भक्तों-वारकरियों का है । श्री गणपति की यह मूर्ति ग्राम देवता के रूप में प्रसिद्ध होकर इसे स्थापित करते समय विधिवत पूजा की गई थी ।’ इसके पहले से भी मंदिर में स्थापित श्री महालक्ष्मीदेवी, श्री हनुमान की मूर्ति कहां है’, ऐसा प्रश्न भी भक्तों की ओर से पूछा जा रहा है । मंदिर समिति का इसके पहले का कामकाज देखते हुए भक्तों में आक्रोश होने के कारण मंदिरों का जतन करते समय किसी भी परिस्थिति में धर्मपरंपरा का पालन किया जाना चाहिए, ऐसा उनका कहना है ।

मंदिर समिति ने विधिवत पूजा की है तो उसके छायाचित्र प्रकाशित करें ! – ह.भ.प. वीर महाराज, राष्ट्रीय प्रवक्ता वारकरी संप्रदाय पाईक संघ 

ह.भ.प. वीर महाराज

इस संबंध में वारकरी संप्रदाय पाईक संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता ह.भ.प.वीर महाराज ने कहा, “इस संबंध में मंदिर समिति के अधिकारियों से हमारी चर्चा हुई है और उन्होंने विधिवत पूजा की, ऐसा कहा है । यदि मंदिर समिति ने पूजा की है, तो उन्हें उसके छायाचित्र प्रकाशित करने चाहिए । मंदिर समिति ने यदि पूजा नहीं की है, तो यह हिन्दुओं के धार्मिक कामों में अनावश्यक हस्तक्षेप है, ऐसा ही माना जाएगा ।”

संपादकीय भूमिका

मंदिर सरकारीकरण का दुष्परिणाम !