विवाह विच्छेद के एक प्रकरण की सुनवाई के समय टिप्पणी
पाटलिपुत्र (बिहार) – एक विवाहित युगल के लिए एक-दूसरे को ‘भूत’ अथवा ‘पिशाच’ कहते हुए कम आंकना ‘क्रूरता’ नहीं है, यह तथ्य अभी-अभी पटना उच्च न्यायालय ने एक जोडे के विवाद पर सुनवाई के समय कही । यह टिप्पणी न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की पीठ ने झारखंड राज्य के बोकारो निवासी सहदेव गुप्ता तथा उनके बेटे नरेश कुमार गुप्ता द्वारा प्रविष्ट याचिका पर सुनवाई करते हुए की । गुप्ता पिता तथा पुत्र ने स्थानीय न्यायालयों में नरेश गुप्ता की विवाह विच्छेदित पत्नी द्वारा प्रविष्ट याचिकाओं पर दिए गए आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
Calling one's partner a witch or demon is not a sign of cruelty. – Patna High Court
Remarks during the hearing of a #divorce case.
👉 In most cases, being ignorant about #spirituality, couples these days go to the lowest level and fight with each other.
👉 Many times it ends… pic.twitter.com/ce1nxZmXOa
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 31, 2024
इस प्रकरण में गुप्ता पिता-पुत्रों की ओर से उच्च न्यायालय में प्रविष्ट याचिका का विरोध करते हुए विवाह विच्छेदित महिला के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि ‘२१वीं सदी में किसी महिला को उसके ससुराल वालों द्वारा ‘भूत’ और ‘पिशाच ‘ कहना अत्यंत क्रूर व्यवहार का एक रूप है। न्यायालय ने कहा, “यह तर्क स्वीकार्य नहीं है।” ‘वैवाहिक संबंध में, विशेष रूप से असफल विवाह में, ऐसे अवसर आते हैं, जब पति और पत्नी दोनों एक-दूसरे के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं, तथापि ये सभी आरोप क्रूरता की श्रेणी में नहीं आते, न्यायालय ने कहा ।
संपादकीय भूमिका
|