देश के ६०० से अधिक अधिवक्ताओं ने भेजे मुख्य न्यायाधीश को पत्र !
नई देहली – भारत के पूर्व महान्यायाभिकर्ता हरीश साल्वे समेत ६०० से अधिक वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर कहा है, कि न्यायपालिका भीषण संकट में है और इसे राजनीतिक और व्यावसायिक दबाव से संरक्षित करने की नितांत आवश्यकता है।
इस पत्र में कहा गया है,
१. माननीय मुख्य न्यायाधीश, हम सभी आपके समक्ष अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। एक समूह विशेष न्यायपालिका पर दबाव बनाने का निरंतर प्रयत्न कर रहा है। यह समूह न्यायिक व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है और अपने राजनीतिक नीति को आगे बढाने के हेतु उथले आरोपों से न्यायपीठों की अपकीर्ति करने का निरंतर प्रयत्न कर रहा है। उनकी करतूत न्यायपालिका की विशेषता दर्शानेवाले सौहार्द और विश्वास के वातावरण को समाप्त कर रही हैं।
२. राजनीतिक प्रकरणों में दबाव की रणनीति सामान्य हो गई है, विशेष कर उन प्रकरणों में जहां राजनेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों। उनकी ये रणनीतियां हमारे न्यायालयों को क्षति पहुंचा रही हैं एवं लोकतांत्रिक ढांचे का भीषण अनिष्ट कर रही हैं।
३. ये विशेष गुट अनेक प्रकार से कार्यरत हैं। वे हमारे न्यायालयों के स्वर्णिम अतीत का उल्लेख करते हैं और उसकी तुलना आज की घटनाओं से करते हैं। ये न्यायालयीन निर्णयों को प्रभावित करने और राजनीतिक लाभ के लिए न्यायालयों को धोखे में डालने के लिए जानबूझकर वक्तव्य देते हैं।
600 Lawyers write to Chief Justice of India (CJI).
Complain about the 'Vested interest trying to influence judiciary'.
NEW DELHI – More than 600 senior Advocates, including former Solicitor General Harish Salve, have written to the CJI Dhananjay Chandrachud alleging that the… pic.twitter.com/o8RvQiGlzW
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 28, 2024
४. कुछ अधिवक्ता दिन में राजनेताओं से लडते हैं और रात्रि में सामाजिक माध्यमों के सामने जाते हैं हैं। इससे न्यायालयीन निर्णय पर प्रभाव पड सकता है। ये अस्वस्थ करने वाला है। वे ‘बेंच फिक्सिंग’ (किसी प्रकरण को किसी विशिष्ट न्यायाधीश के पास लाना) की परंपरा भी निर्माण कर रहे हैं। यह कृति न केवल हमारे न्यायालयों का अनादर है, बल्कि मानहानिकारक भी है।’ यह हमारे न्यायालय की प्रतिष्ठा पर आक्रमण है।
५. माननीय न्यायाधीशों पर भी आक्रमण हो रहे हैं। उनके संबंध में मिथ्या प्रचार किया जात है। वे इतने गिर गए हैं कि वे हमारे न्यायालयों की तुलना उन देशों से कर रहे हैं जहां कोई कानून नहीं है। हमारी न्यायपालिका पर अन्यायकारक कार्रवाई का आरोप लगाया जा रहा है।
६. यह देखकर आश्चर्य होता है कि राजनेता किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं और उसके उपरांत उसे ही बचाने के लिए न्यायालय में जाते हैं। यदि न्यायालय का निर्णय उनके पक्ष में नहीं आता तो वे न्यायालय की ही आलोचना करते हैं और सामाजिक माध्यम के पास पहुंच जाते हैं। यह दोहरा चरित्र सामान्य मानव के न्यायालय के प्रति सम्मान के लिए अनिष्टकारक है।
७. कुछ लोग सामाजिक माध्यम पर अपने प्रकरण से जुडे न्यायाधीश के संबंध में मिथ्या जानकारी प्रसारित करने हैं। वे अपने प्रकरण के निर्णय पर अपनी पद्धति से दबाव बनाने के लिए ऐसा करते हैं। यह हमारे न्यायालयों की पारदर्शकता के लिए भीषण धोखा है और वैधानिक सिद्धांतों पर आक्रमण है। वे यह सब पूर्वनिर्धारित समय पर करते हैं । वर्तमान में वे ऐसा तब कर रहे हैं जब देश चुनाव का सामना कर रहा है। हमने यही स्थिति वर्ष ´२०१८-१९´ में भी देखी है।
दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है ! -प्रधानमंत्री मोदीनई दिल्ली – ‘दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है । पांच दशक पहले उन्होंने ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ की बात की थी । वह निर्लज्जता से अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की प्रतिबद्धता चाहती है । लेकिन कांग्रेसियों को राष्ट्र से कुछ लेना-देना नहीं है । ‘इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि १४० करोड़ भारतीय उन्हें अस्वीकार कर रहे हैं’, ६०० अधिवक्ताओं के पत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की आलोचना की । |