Swatantrya Veer Savarkar Movie : ‘स्वतंत्रतावीर सावरकर’ चलचित्र सशस्त्र क्रांति का इतिहास है !

चलचित्र के निर्माता, निर्देशक और अभिनेता रणदीप हुडा ने दी जानकारी !

‘स्वतंत्रतावीर सावरकर’ चलचित्र के निर्माता, निर्देशक एवं अभिनेता रणदीप हुडा

मुंबई – कांग्रेस के इतिहास को दोहराने के लिए मैंने ‘स्वतंत्रतावीर सावरकर’ चलचित्र का निर्माण नहीं किया है । सावरकर की स्थिति और विचारधारा कौनसी परिस्थितियों में विकसित होती गई, यह स्पष्टरुप से दिखाने के लिए मैंने इस चलचित्र का निर्माण किया है । मैंने सशस्त्र क्रांति का इतिहास बतानेवाला चलचित्र बनाया है । सशस्त्र क्रांति गंधीजी की विचारधारा के विरुद्ध थी और मुझे लगता है कि हमें कांग्रेस और गांधीजी को अलग करना चाहिए, ऐसा मत ‘स्वतंत्रतावीर सावरकर’ चलचित्र के निर्माता, निर्देशक और अभिनेता रणदीप हुडा ने एक साक्षात्कार में व्यक्त किया ।

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इतिहास में क्रांतिकारियों के संदर्भ में अत्यंत संक्षिप्त जानकारी !

अभिनेता हुडा ने कहा कि जब ‘स्वतंत्रतावीर सावरकर’ चलचित्र मेरे पास आया, तब मुझे लगा कि मुझे इतिहास ज्ञात है; परंतु जब मैंने उसे फिर से पढना आरंभ किया, तब इतिहास की पूरी पुस्तक में सशस्त्र क्रांति पर केवल एक ही परिच्छेद था । वासुदेव बळवंत फडके, टिळक, चापेकर बंधु, खुदीराम बोस, अनंत कान्हेरे, भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेताजी बोस, गदर पक्ष में सहभागी लोग, श्यामजी वर्मा, मैडम कामा ऐसे सहस्त्रों लोग सशस्त्र क्रांति पर विश्वास करते थे । तब भी इन लोगों को अपने इतिहास में महत्त्व क्यों नहीं है ? इनके बारे में कुछ भी नहीं लिखा था ।

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इंदिरा गांधी ने कहा था, ‘सावरकर शूर स्वतंत्रतासेनानी थे और स्वतंत्रता की लडाई में उनका बहुत बडा योगदान है !’

सावरकर को ‘माफीवीर’ कहा जा रहा है । इस संदर्भ में हुडा को पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इस बात से बहुत कष्ट होता है । किसी साक्षात्कर में मैंने दिए वक्तव्य के अनुसार सावरकर को यदि कोई ऐसा कहे तो मुझे थप्पड लगाए जैसा लगता है । ‘सावरकर स्वतंत्रतासंग्राम के वीर नहीं थे ?’ ऐसा आप कैसे कह सकते हो ? उनकी (राहुल गांधी) दादी (इंदिरा गांधी) ने सावरकर की मृत्यु के पश्चात अपना मत व्यक्त करते हुए कहा था, ‘वे (सावरकर) एक अत्यंत शूर स्वतंत्रतासेनानी थे और स्वतंत्रता की लडाई में उनका योगदान बहुत बडा है । उनके विचार आगे की पीढियों को प्रेरणा देते रहेंगे ।’ इंदिरा गांधी ने सावरकर का डाक टिकट भी बनवाया है । ऐसा है तो क्या राहुल गांधी अपनी दादी से अधिक जानते हैं ?

रिचर्ड एटनबरो के ‘गांधी’ चलचित्र में सावरकर को दिखाया नहीं था !

‘स्वतंत्रतावीर सावरकर’ चलचित्र का विज्ञापन (ट्रेलर) प्रदर्शित किया जाने के उपरांत ऐसी टिप्पणी की जा रही है कि इस में गांधीजी का अनादर किया गया है । इसपर हुडा ने कहा कि मैं गांधीजी का अनादर नहीं कर रहा हूं; परंतु यह चलचित्र सावरकर के संदर्भ में है, मैं उनकी बात को प्रस्तुत करना चाहता हूं । रिचर्ड एटनबरो द्वारा निर्मित ‘गांधी’ चलचित्र में सावरकर नहीं थे । मैंने पूरी सावधानी से चलचित्र बनाया है । अपने स्वतंत्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों को किसी व्यक्ति की कुछ बातें अच्छी लगी थी, तो उनकी कुछ बातें एकदूसरे से भिन्न भी थी । भगतसिंह गांधीजी की तुलना में अलग थे, सुभाषचंद्र अन्यों से भिन्न थे । इसलिए उनमें सदैव मतभेद हुआ करते थे; परंतु उनकी कुछ बातें समान भी थी ।

वीर सावरकर और अन्य क्रांतिकारियों पर और चलचित्र निर्माण होंगे ! – रणजीत सावरकर

‘स्वतंत्रतावीर सावरकर’ के प्रपौत्र तथा ‘‘स्वतंत्रतावीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ के अध्यक्ष रणजीत सावरकर ने रणदीप हुडा की चलचित्र को लेकर प्रशंसा की है । उन्होंने कहा कि ‘स्वतंत्रतावीर सावरकर’ चलचित्र बनाते समय रणदीप से कई बार मेरी चर्चा हुई है । उन्होंने मन लगाकर भूमिका निभाई है । इस चलचित्र के लिए उन्होंने ३० किलो वजन घटाया ।

ऐतिहासिक घटनाओं का जतन करने के लिए चलचित्र निर्मित किए जाने चाहिए । युवकों को इतिहास ज्ञात हो, इसलिए सावरकर और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के संदर्भ में अधिक चलचित्रों की निर्मिती की जानी चाहिए । चलचित्र एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा इतिहास नई पीढी के सामने प्रस्तुत किया जा सकता है । मुझे आशा है कि वीर सरवरकर और अन्य क्रांतिकारियों पर और चलचित्रों की निर्मिती होगी ।