सीएए कानून को हो रहे विरोध पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का हल्लाबोल !
नई देहली – केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता सुधार कानून पर (‘सीएए’ पर) चल रही राजनीति पर भाष्य किया है । इस कानून का विरोध करनेवाली बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संबंध में शाह ने कहा कि, नागरिकता के लिए बांगलादेश से बंगाल में आए हिन्दुओं को अर्ज करने दें । ऐसा नहीं किया, तो उनका नाम गैरकानूनी स्थानान्तरितों की सूची में शामिल किया जाएगा और उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे । बनर्जी को निर्वासित और घुसपैठियों के बीच का भेद भी ज्ञात नहीं । मैं उनका आवाहन करता हूं कि बांगलादेश से आने वाले बंगाली हिन्दुओं का कृपया विरोध न करें । आप भी बंगाली हैं ! ‘ए.एन.आई.’ वृत्त संस्था को दिए साक्षात्कार में गृहमंत्री बोल रहे थे ।
Union Minister @AmitShah's move to liberate Hindus from the terrible hardships in the neighbouring I$l@mic nations is indeed commendable.
His effort towards the Hindu resurgence is a step that the Congress failed to take, leading to its decline, which it should acknowledge.… pic.twitter.com/gDRlSwn1vY
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 14, 2024
ओवैसी के आरोप पर शाह ने कहा कि, सीएए कानून को मुसलमान विरोधी कहने के पीछे ओवैसी का क्या तर्क है ? आधार यह है कि जिसपर धार्मिक दृष्टि से अन्याय हुआ है, उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाए । मुसलमानों पर धार्मिक अन्याय हो नहीं सकता; कारण हमारे पडोस के तीनों देश घोषित इस्लामी राष्ट्र हैं । उनके संविधान में उनके इस्लामी राष्ट्र होने का प्रावधान है ।
सीएए द्वारा नागरिकता मिलने के विषय में क्या बोले गृहमंत्री ?
सीेएए के अंतर्गत नागरिकता पाने वाले भारत के अन्य नागरिकों के समान ही भारतीयों की सूची में सम्मान से समाविष्ट होंगे । उन्हें नागरिक के रूप में हमारे समान ही सभी अधिकार मिलेंगे । वे चुनाव भी लड सकते हैं, सांसद, विधायक और मंत्री भी हो सकते हैं ।
Speaking to ANI on CAA.
https://t.co/YEPMstF5vq— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) March 14, 2024
साक्षात्कार का पूर्ण विवरण
पाकिस्तान और बांगलादेश के हिन्दू कहां गए ? – केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह
केंद्रीय गृहमंत्री ने रखें महत्वपूर्ण सूत्र !
सीएए कानून पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ‘ए.एन.आई.’ वृत्तसंस्था को दिया साक्षात्कार ।
१. जनसंघ ने विभाजन का हमेशा ही विरोध किया !
वर्ष १९४७ में देश का विभाजन हुआ । भारतीय जनसंघ और भाजपा ने हमेशा ही विभाजन का विरोध किया । विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए था; लेकिन उस समय यह किया गया । विभाजन के उपरांत वहां के अल्पसंख्यकों पर अनगिनत अत्याचार हुए, उनका धर्मपरिवर्तन किया गया । वे यदि भारत में आश्रय लेने के लिए आए, तो उन्हें यहां की नागरिकता का अधिकार नहीं है क्या ?
२. कांग्रेस ने हिन्दुओं का किया विश्वासघात !
कांग्रेस के नेताओं ने विभाजन के समय कहा था कि, अब दंगे चालू हैं । इस कारण जहां हैं, वहीं रुके । आगे जब आप भारत में आएंगे, तब आपका स्वागत होगा; परंतु चुनाव, मतों की राजनीति चालू हुई । कांग्रेस ने हिन्दुओं को दिया आश्वासन कभी भी पूर्ण नहीं किया !
३. प्रत्येक देश की दुर्व्यवस्था के कारण वहां के लोगों को नागरिकता देना अपरिहार्य !
मुसलमान जनसंख्या के लिए ही अखंड भारत का विभाजन कर उन्हें स्वतंत्र देश दिया गया । यदि उन्हें भी नागरिकता देने का विचार किया, तो प्रत्येक देश की दुर्व्यवस्था के कारण वहां के लोगों के लिए भारत के दरवाजे खोलने पडेंगे । जो लोग अखंड भारत का हिस्सा थे और जिन पर धार्मिक अत्याचार हुए, उन्हें शरण देना हमारा नैतिक कर्तव्य है, ऐसा मैं मानता हूं ।
४. पाकिस्तान, बांगलादेश और अफगानिस्तान के सभी हिन्दू कहां गए ?
पाकिस्तान : जब विभाजन हुआ, तब पाकिस्तान में २३% हिन्दू और सिख थे । आज ३.७% शेष हैं ।
बांगलादेश : वर्ष १९५१ में बांगलादेश में हिन्दुओं की मात्रा २२% थी, वर्ष २०११ की जनगणना में यह मात्र १०% रह गई ।
अफगानिस्तान : यहां वर्ष १९९२ के पूर्व लगभग २ लाख सिख और हिन्दू थे । आज वहां लगभग ५०० ही शेष बचे हैं ।
वे सभी कहां गए ? उनका धर्म परिवर्तन किया गया । उनका दोयम स्तर के नागरिक के रूप में उनसे बर्ताव कर उनका अपमान किया गया । कहां जाएंगे ये लोग ? देश इसका विचार नहीं करेगा क्या ? इन लोगों को उनकी श्रद्धानुसार जीवन बिताने का अधिकार नहीं है क्या ? भारत एकसंघ था, तब वह सभी अपने ही थे । यदि यही तत्व रखना होगा, तो विभाजन के उपरांत इतने शरणार्थियों को देश में क्यों रखा ? तब इसका भी कुछ अर्थ नहीं ।
५. केजरीवाल रोहिंग्या और बांगलादेशी घुसपैठियों के विषय में क्यों नहीं बोलते ?
केजरीवाल ने कहा था कि, इस कानून के कारण निर्वासितों को नागरिकता मिलेगी । यह खतरा है । इस कारण कानून और व्यवस्था बिगडेगी । इसपर शाह ने कहा, केजरीवाल को ज्ञात नहीं कि ये लोग पहले से ही अपने देश में निर्वासित हैं । वे भारत में रहते हैं । ये ऐसे लोग हैं, जो वर्ष २०१४ के पूर्व से यहां रह रहे हैं और ऐसे लोगों को ही नागरिकता मिलेगी । केजरीवाल को इतनी ही चिंता है तो वह बांगलादेशी घुसपैठियों के विषय में क्यों नहीं बोलते ? रोहिंग्यों का विरोध क्यों नहीं करते ?
भारत के अल्पसंख्यकों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं !शाह ने आगे कहा कि, ऐसे लोग अपने देश में निर्वासितों समान जी रहे हैं । ३ पीढियों से छिन गए अधिकार उन्हें देने का यह सूत्र है । भारत के अल्पसंख्यकों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं, हाल ही में मैंने ऐसा ४१ बार बताया है । यह कानून किसी की भी नागरिकता नहीं छीनेगा । |
विदेशी प्रसारमाध्यमों को उत्तर !अमित शाह ने कहा, “विदेशी प्रसारमाध्यमों को पूछें कि उनके देश में ३ तलाक है क्या ? उनके देश में ‘मुसलमान पर्सनल लॉ’ (मुसलमान व्यक्तिगत कानून) है क्या ? उनके देश के एक भी राज्य में धारा ३७० जैसा प्रावधान है क्या ?” |
संपादकीय भूमिकापड़ोसी इस्लामी देशों के अत्याचारों से हिन्दुओं को मुक्त करनेवाले केंद्रीय मंत्री अमित शाह का यह कदम स्वागत योग्य है। हिन्दुओं के पुनरुत्थान के लिए किया गया यह प्रयास कांग्रेस द्वारा न किए जाने से वह अंतिम सांस गिन रही है, यह उसे ध्यान में रखना चाहिए ! |