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भाग्यनगर (तेलंगाना) – यह घटना १३ फरवरी को भाग्यनगर जिले से लगे रंगारेड्डी जिले की है, जहां जनवाड़ा गांव में सड़क चौड़ी करने का काम चल रहा था । वहां मेथोडिस्ट चर्च के लोगों ने उनका विरोध किया । इसी समय चर्च की ओर से ग्रामीणों पर ईंट-पत्थर फेंके जाने लगे । क्रोधित ग्रामीणों ने भी प्रत्युत्तर में चर्च में तोड़फोड़ की । इस आक्रमण में दोनों पक्षों के कुल १८ लोग घायल हो गए । पुलिस ने इस प्रकरण में ११ लोगों को बंदी बनाया है । बढ़ते तनाव को देखते हुए वहां एक सप्ताह के लिए धारा १४४ लगा दी गई है । चूंकि यह प्रकरण चर्च से जुड़ा है इसलिए राजनीतिक दलों ने चर्च का पक्ष लेना आरंभ कर दिया है ।
आक्रमण में चर्च का क्रॉस भी टूट गया !
बताया जाता है कि ग्रामीणों के आक्रमण में चर्च पर लगा क्रॉस भी टूट गया । इस घटना में चर्च की ओर से दी गई शिकायत के आधार पर ‘एससी-एस्टी’ तथा अन्य कानूनों के अंतर्गत प्रकरण प्रविष्ट किया गया है । (हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करने के उपरांत भी ईसाई अपनी जाति नहीं बदलते । इससे पता चलता है कि ऐसे आक्रमणों में ईसाइयों को बचाने के लिए यह मार्ग अपनाया जा रहा है ! – संपादक)
Opposition to road widening by a Church in Rangareddy (Telangana) : Church attacks the villagers.
➡️ Assaulted with stones and bricks
➡️ Villagers retaliated
➡️18 injured, 11 arrested
➡️ Prohibitory orders implementedThis incident reveals the true nature of the church. The… pic.twitter.com/G0NAoyXuYp
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 15, 2024
कानून-व्यवस्था को हाथ में लेना तथा हिंसा करना गलत है; लेकिन जो ईसाई यह कहकर हिन्दुओं को बांटने का प्रयास करते हैं कि ‘हिंदू देवता अपने मंदिरों को नहीं बचा सकते’, अब उनसे कोई पूछे कि ‘क्या इस घटना के दौरान यीशु चर्च को बचाने में सक्षम नहीं थे ?’ ऐसा प्रश्न पूछा जाए तो क्या यह गलत होगा ? |
पिछड़े वर्ग के हिन्दुओं से घृणा करती है बसपा !
तेलंगाना बसपा अध्यक्ष डॉ. आर.एस. प्रवीण कुमार ने १४ फरवरी को घटनास्थल का निरीक्षण किया । उन्होंने कहा कि २०० से अधिक लोगों ने चर्च पर आक्रमण किया । चर्च में लोगों को लोहे की रॉड तथा लाठियों से पीटा गया । (ग्रामीण अनुसूचित जनजाति के होते हुए भी बसपा इस प्रकरण में ईसाइयों का पक्ष ले रही है । इससे बसपा का ईसाइयों के प्रति प्रेम तथा पिछड़े वर्ग के हिन्दुओं के प्रति घृणा का पता चलता है ! – संपादक)
संपादकीय भूमिका
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