(और इनकी सुनिए…) ‘श्रीराममंदिर भारतीय लोकतंत्र पर कलंक !’ – पाकिस्‍तान

  • मुसलमानों को अलग-थलग करने का प्रयास 

  • ज्ञानवापी, शाही ईदगाह सहित देश की अनेक मस्‍जिदों पर संकट होने का भी दावा 

इस्‍लामाबाद (पाकिस्‍तान) – अयोध्‍या में श्रीराममंदिर के श्री रामलला की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा पर, पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय ने निवेदन प्रसारित किया है । उसमें कहा है ‘‘हम अयोध्‍या के श्रीराममंदिर के उद्घाटन का निषेध करते हैं ।’’ आगे आलोचना करते हुए कहा ‘‘यह मंदिर बाबरी ढहाकर बनाया गया है । उद्धवस्‍त मस्‍जिद के स्‍थान पर निर्माण किया गया है । इसलिए यह मंदिर आनेवाले समय में भारतीय लोकतंत्र के माथे पर के कलंक के रूप में रहेगा ।’’ निवेदन में आगे कहा गया है ‘‘भारत में हिन्‍दुत्‍व की बढ रही विचारधारा धार्मिक सद्भाव एवं क्षेत्रिय शांति के लिए संकटपूर्ण है । इस प्रकार भारत के मुस्‍लिमों को अलग-थलग करने का प्रयास किया जा रहा है ।’’

(सौजन्य : ANI News) 

पाकिस्‍तान ने कहा है ,

१. प्राचीन बाबरी ६ दिसंबर को कट्टरहिन्‍दुओं ने ध्‍वस्‍त कर दी । दुर्भाग्‍यपूर्ण बात है कि भारत के सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने उत्तरदायियों को निर्दोष मुक्‍त कर दिया एवं मस्‍जिद के स्‍थान पर मंदिर निर्माण करने की अनुमति दी । यह अभियोग ३१ वर्ष चालू था एवं आज उद्घाटन हुआ । यह घटना दर्शाती है कि भारत में एक समाज को प्रोत्‍साहन मिल रहा है । यह भारतीय मुस्‍लिमों को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक रूप में पीछे रखने के प्रयासों में से एक है ।

२. वाराणसी की ज्ञानवापी मस्‍जिद एवं मथुरा की शाही ईदगाह मस्‍जिद के साथ ही अनेक मस्‍जिदों पर अब संकट निर्माण हुआ है । उनको भी ढहाया जा सकता है ।

३. भारत के उत्तर प्रदेश एवं मध्‍य प्रदेश इन दो प्रमुख राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों ने कहा है कि बाबरी का पतन एवं श्रीराममंदिर का उद्घाटन, यह घटना पाकिस्‍तान के कुछ भागों को पुनः नियंत्रण में लाने का पहला कदम है । अंतर्राष्ट्रीय समाज को भारत के बढ रहे इस्‍लामद्वेष एवं विद्वेषी वक्‍तव्‍यों की ओर ध्‍यान देना चाहिए ।

४. संयुक्‍त राष्ट्र एवं अन्‍य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भारत के प्राचीन इस्‍लामी वास्‍तुओं की कट्टरवादियों के दलों से रक्षा करने के लिए, साथ ही भारत के अल्‍पसंख्‍यकों की धार्मिक एवं सांस्‍कृतिक अधिकारों की रक्षा निश्‍चित करनी चाहिए । इस के लिए पाकिस्‍तान भारत सरकार से आग्रह करता है ।

संपादकीय भूमिका 

  • पाकिस्‍तान में पिछले ७५ वर्षों से हिन्‍दुओं का वंशसंहार आरंभ है एवं आनेवाले कुछ वर्षों में पाकिस्‍तान से हिन्‍दुओं का नामोनिशान मिट जाए, उनके मंदिर नष्ट हो जाएं,  तो भी आश्‍चर्य नहीं होगा । ऐसी स्‍थिति होते हुए भी पाकिस्‍तान द्वारा भारत पर अंगुली उठाना अर्थात ‘सौ चुहे खाकर बिल्ली हज को चली’ ऐसा ही है !
  • पाकिस्‍तान को भारत के लोकतंत्र की चिंता करने की अपेक्षा, स्‍वयं के देश के लोकतंत्र की पहले चिंता करनी चाहिए !