अयोध्या – सहस्त्रों वर्षों के लाखों लोगों के बलिदान के उपरांत हमारे प्रभु श्री राम का आगमन हुआ है। दिव्य चेतना की अनुभूति हो रही है। मुझे आज बहुत कुछ कहना है; किन्तु अवरुद्ध कंठ से शब्द नहीं निकल रहे हैं । मेरा शरीर अभी भी स्पंदनों से ओतप्रोत है। उन क्षणों में मेरा मन आज भी लीन है। मुझे असीम विश्वास है कि आज जो घटित हुआ है, उसकी अनुभूति देश एवं विश्व के अनन्य रामभक्तों को हो रही होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अतिथियों को विश्वास दिलाया कि उनके रामलला अब तंबू में नहीं रहेंगे। सहस्त्रों वर्षों की प्रतीक्षा का अंत हुआ , अब आगे क्या?” प्रश्न यही है। क्या आप दिव्य आत्माओं को भी वापस लौटने के लिए कहेंगे? निश्चित ही नहीं। यही सही समय है, हमें राष्ट्र के आगामी १,००० वर्षों की बुनियाद आज रखी जानी है। इस समय उन्होंने यह आवाहन किया कि, हमें एक सशक्त, सक्षम, दिव्य ,पवित्र एवं भव्य भारत बनाना है।
अयोध्या धाम में श्री राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा से पूरा भारतवर्ष राममय और भावुक है। https://t.co/nGzYkOttSy
— Narendra Modi (@narendramodi) January 22, 2024
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रस्तुत किए सूत्र !
१. २२ जनवरी २०२४ दिनदर्शिका का कोई दिनांक नहीं, बल्कि एक नए युग का प्रारंभ है। आज के इन पलों की चर्चा आज से १ सहस्त्र वर्षों के उपरांत भी की जाएगी। ‘यह हम सब देख रहे हैं, अनुभव कर रहे हैं’, राम की असीम कृपा है। आज सभी दिशाएं दिव्यता से परिपूर्ण हैं।
२. मैं प्रभु से क्षमायाचना करता हूं। हम सहस्रों वर्षों तक मंदिर का निर्माण नहीं कर सके क्योंकि हमसे कहीं न कहीं कमी रह गई। आज मुझे लग रहा है कि प्रभु श्री राम हमें अवश्य क्षमा करेंगे। श्री राम मंदिर के लिए कई दशकों तक वैधानिक संघर्ष करना पडा । मैं न्यायपालिका का आभारी हूं कि उसने न्याय किया।
३. हम असंख्य कारसेवकों, रामभक्तों, साधु-संतों के ऋणी हैं। यह भारतीय समाज की परिपक्वता के बोध का भी क्षण है। ये पल मात्र विजय का ही नहीं, बल्कि विनम्रता का भी है।
४. कुछ लोग कहते थे कि ‘श्री राम मंदिर बनेगा तो आग लग जाएगी’। श्री राम मंदिर का निर्माण भारतीय समाज की शांति, साहस और सद्भाव का प्रतीक है। श्री राम मंदिर उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करने वाला है। राम अग्नि नहीं, बल्कि ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं समाधान हैं।
५. हमें अपना हृदय विशाल करना होगा। इसके लिए प्रत्येक भारतीय के समर्पण की आवश्यकता होगी। यह राष्ट्र की चेतना का ईश्वर से देश और राम तक का विस्तार है। यदि कोई यह समझे कि ‘मैं बहुत साधारण हूँ, छोटा हूँ’ तो उसे गिलहरी का स्मरण करना चाहिए। आइए हम संकल्प करें कि हम जीवन का हर पल, हमारे शरीर का कण कण देश के लिए, राम के लिए समर्पित करेंगे । हमारी पूजा समष्टि के लिए होनी चाहिए।
इससे पूर्व छत्रपति शिवाजी महाराज ने भगवान की तपस्या की थी ! – पू. गोविंद देव गिरि महाराज
श्री गोविंद देव गिरि महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री के कर कमलों से प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। इसके लिए प्रधानमंत्री ने ३ दिन नहीं बल्कि ११ दिन का उपवास किया। वे एकभुक्त रहे। ऐसा तपस्वी कोई राष्ट्रीय नेता नहीं है। उन्होंने नासिक, गुरुवायूर, रामेश्वरम आदि स्थानों पर अनुष्ठान किये। भारतीय संस्कृति में तप का अनन्य महत्व है! ऐसी तपस्या करने वाले राजा का एक ही नाम मुझे स्मरण में है, वो हैं छत्रपति शिवाजी महाराज! ऐसा कहते समय पू. महाराजजी के भाव जागृत हो गए ।
(सौजन्य : Zee 24 Taas)