भारत-म्यांमार सीमा पर घेरा बनाने के लिए मिजोरम के मुख्यमंत्री का विरोध : ‘मैतेई हेरिटेज सोसाईटी’ की ओर से निंदा !

मुख्यमंत्री लालदुहोमा

नई देहली – मिजोराम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने विदेश मंत्री एस्. जयशंकर एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देहली में हुई बैठक में भारत-म्यांमार सीमा पर घेरा बनाने के लिए विरोध किया है, ऐसा समाचार प्रकाशित हुआ है । इस विषय में ‘मैतेई हेरिटेज सोसाईटी’ने मिजोराम के मुख्यमंत्री की कडे शब्दों में निंदा की है । ‘सीमा पर घेरा बनाना मिजोरम के हित के विरुद्ध होने का लालदुहोमा का दावा चौंकानेवाला है’, ऐसा ‘मैतेई हेरिटेज सोसाईटी’ने कहा है ।

‘मैतेई हेरिटेज सोसाईटी’ने आगे कहा है कि,

१. विद्रोही गुट चीन, कुकी एवं जो भारत के ईशान्य की ओर से म्यांमार एवं बांग्ला देश के कुछ भूभाग को तोडकर तथाकथित जालेंगम, कुकीलैंड अथवा जोलैंड नामक स्वतंत्र देश बनाने हेतु लड रहा है ।

२. लालदुहोमा के द्वारा दिया गया वक्तव्य भारत की प्रादेशिक अखंडता को भंग करनेवाला तथा भारतविरोधी गतिविधियों का सीधा-सीधा समर्थन करनेवाला है । मिजोरम के मुख्यमंत्री का यह दावा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर संकट है ।

३. सीमा पर घेरा न होने के कारण म्यांमार से आनेवाले शरणार्थी अवैधरूप से भारत में घुस रहे हैं, साथ ही वहां मादक पदार्थाें की तस्करी हो रही है । ‘फ्री मूवमेंट रेजिम’ भी म्यांमार के लोगों का भारत में स्थानांतरण होने का कारण है । मणिपुर में चल रहे संघर्ष का मूल कारण भी इसी में छिपा है ।

४. मुख्यमंत्री लालदुहोमा अपना देशविरोधी वक्तव्य वापस ले तथा ‘सीमा घेरा परियोजना’ सफलतापूर्वक संपन्न कराने हेतु केंद्र सरकार के साथ काम करे, यह मांग ‘मैतेई हेरिटेज सोसाईटी’ने की है ।

पिछले सवा दो वर्षाें में म्यांमार से ५३ सहस्र ५०० शरणार्थी भारत आए ! – संयुक्त राष्ट्रसंघ

‘संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त’ ने उनके वर्ष मई २०२३ में प्रकाशित ब्योरे में कहा है कि फरवरी २०२१ से मई २०२३, इन सवा दो वर्षाें की अवधि में म्यांमार से ५३ सहस्र ५०० शरणार्थी भारत आए । इनमें से अनेक शरणार्थियों ने विभिन्न अवैध पद्धतियों से भारतीय परिचयपत्र बनवा लिए हैं तथा अब वे भारतीय नागरिक बन चुके हैं । इस धोखाधडी को रोकना अत्यंत आवश्यक है तथा उसके लिए सीमा पर घेरा बनाना महत्त्वपूर्ण है ।

संपादकीय भूमिका 

अब केंद्र सरकार ही देश की सीमाओं को सुरक्षित बनाने हेतु कदम उठाएं, यही भारतीयों की भावना है !