श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने दी श्री राम मंदिर के बारे में विस्तृत जानकारी !
अयोध्या (उत्तर प्रदेश) – २२ जनवरी को श्री राम के भव्य मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा तथा मूर्ति स्थापित की जाएगी । इस पृष्ठभूमि पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थयात्रा ट्रस्ट द्वारा मंदिर की विशेषताओं तथा सुविधाओं आदि के बारे में विस्तृत जानकारी ’एक्स’ पर पोस्ट की गई है । यह जानकारी इस प्रकार है ।
अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं:
1. मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है।
2. मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी।
3. मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल… pic.twitter.com/BdKNdATqF6
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) January 4, 2024
१. अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण परंपरागत नागर शैली में किया जा रहा है ।
२. मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम तक) ३८० फीट, चौड़ाई २५० फीट तथा ऊंचाई १६१ फीट होगी ।
३. मंदिर ३ मंजिला होगा । प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई २० फीट होगी ।
४. मंदिर में कुल ३९२ स्तंभ तथा ४४ प्रवेश द्वार होंगे।
५. मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम का बाल रूप होगा तथा प्रथम तल पर श्री राम दरबार होगा ।
६. मंदिर में 5 मंडप होंगे, नृत्यमंडप, रंगमंडप, सभामंडप, प्रार्थना मंडप तथा कीर्तन मंडप ।
७. मंदिर के खंभों तथा दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं ।
८. पूर्व दिशा में सिंहद्वार के माध्यम से ३२ सीढ़ियाँ चढ़कर मंदिर तक पहुँचा जा सकता है ।
९. दिव्यांगों तथा वृद्धों के लिए मंदिर में प्रवेश तथा निकासी के लिए रैंप तथा लिफ्ट की व्यवस्था होगी ।
१०. मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा होगा । इसकी चारों दिशाओं में कुल लंबाई ७३२ मीटर तथा चौड़ाई १४ फीट होगी ।
११. मंदिर के चारों ओर पार्क के चारों कोनों पर सूर्य देव, माता भगवती, गणपति तथा भगवान शंकर को समर्पित ४ मंदिर बनाए जाएंगे। उत्तरी भुजा में श्री अन्नपूर्णा का मंदिर तथा दक्षिणी भुजा में श्री हनुमान का मंदिर होगा ।
१२. मंदिर के पास ही पौराणिक काल का सीताकूप होगा ।
१३. मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता सबरी तथा ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे ।
१४. दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है तथा वहां जटायु की एक मूर्ति स्थापित की गई है ।
१५. श्रीराम मंदिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया है तथा न ही जमीन पर कंक्रीट बिछाई है ।
१६. मंदिर के नीचे १४ मीटर मोटा ’रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट’ (आर.सी.सी) लगाया गया है । इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है ।
१७. मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए २१ फीट ऊंचे ग्रेनाइट मंडप का निर्माण किया गया है।
१८. मंदिर परिसर में सीवर उपचार तथा जल उपचार परियोजनाएं होंगी । साथ ही अग्निशमन के लिए पानी की व्यवस्था तथा स्वतंत्र ‘पावर स्टेशन’ का निर्माण किय गया है । जिससे बाहरी संसाधनो पर न्यूनतम निर्भरता रहे ।
१९. २५ हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केन्द्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर तथा चिकित्सा की सुविधाएं होंगी ।
२१. मंदिर परिसर में स्नानगृह, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि सुविधाएं होंगी ।
२२. मंदिर का निर्माण पूर्णत: भारतीय परंपरा के अनुरूप तथा स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है । पर्यावरण एवं जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है । ७० एकड़ क्षेत्र का ७० प्रतिशत क्षेत्र सदा हरित रहेगा।