धारा ३७० रद्द करनेवाले सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल (निवृत्त) का वक्तव्य !
नई देहली – २५ दिसंबर को सर्वोच्च न्यायालय के निवृत्त न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने वक्तव्य दिया, ‘जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी शक्तियों के कारण विस्थापित साढेचार लाख कश्मीरी हिन्दुओं के विषय में अत्यल्प चर्चा हुई । ‘कश्मीरी हिन्दुओं’ के पास राजनीतिक दृष्टि से ध्यान में आए, इतनी बडी मतपेटी न थी ।’ धारा ३७० रद्द करने का निष्कर्ष देनेवाले सर्वोच्च न्यायालय के ५ न्यायमूर्तियों के खंडपीठ में न्यायमूर्ति कौल भी समाहित थे, साथ ही वे कश्मीरी हिन्दू भी हैं ।
(सौजन्य : TIMES NOW)
न्यायमूर्ति (निवृत्त) कौल ने आगे कहा,
१. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के कारण शांति बिगडने से पूर्व विविध समुदाय के लोग एकत्रित रहते थे । घाटी की परिस्थिति इतनी क्यों बिगड गई ?, यह समझ में नहीं आया ।
२. ३० वर्षों की अमर्यादित हिंसा के उपरांत अब जनता को आगे बढने का (प्रगति करने का) समय आ गया है ।
३. मुसलमानबहुल जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक कश्मीरी हिन्दुओं के विस्थापन के संदर्भ में सभी मौन रहे । इसका मुझे खेद है ।
४. १९९० के दशक में परिस्थिति इतनी बिगड गई थी, कि देश की प्रादेशिक अखंडता संकट में पडने से सेना को बुलाना पडा । जम्मू-कश्मीर के लोगों की एक पूर्ण पीढी ऐसी है, जिन्होंने अच्छा समय देखा ही नहीं है ।
संपादकीय भूमिकाअब दुबारा ऐसा न हो, इसलिए समस्त हिन्दुओं को सावधान रहना आवश्यक है । कहीं भी हिन्दुओं पर ‘हिन्दू’ होने के कारण अत्याचार हुए, तो सभी हिन्दुओं को उसके विरुद्ध संगठित होकर आवाज उठानी चाहिए, कश्मीर का यह संस्करण टालने का यही मार्ग है ! |