|
नागपुर (महाराष्ट्र) – श्रीरामनवमी के दिन अपरान्ह के समय ‘सूर्य की किरणें प्रभु श्रीरामलला के मस्तक पर पडें, इस प्रकार के तंत्र का उपयोग किया जाए’, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा है । उसके अनुसार श्रीराम की बालरूप में ५१ इंच की मूर्ति तैयार की गई है । इसके आगे सूर्य की किरणों का श्रीरामलला के माथे पर पडने का समय ‘रामतिलक महोत्सव’ के रूप में मनाया जाएगा । अबतक श्रीराम मंदिर के लिए संपूर्ण देश से ३ सहस्र ३०० करोड रुपए का चंदा मिला है, उनमें से मंदिर के निर्माण के लिए १ सहस्र ४०० करोड रुपए खर्च हुए हैं । बचे हुए २ सहस्र ९०० करोड रुपए शेष हैं । मंदिर निर्माण के लिए विदेशों से एक रुपए का भी चंदा नहीं मिला है; क्योंकि ट्रस्ट को ‘विदेशी अंशदान विनियमन’ अर्थात ‘एफ्.सी.आय.’ कानून के अनुसार विदेशों से चंदा लेने की अनुमति नहीं थी । अब वह मिल गई है; इसलिए इसके आगे विदेशों के श्रीरामभक्त भी चंदा दे सकेंगे, ऐसी जानकारी अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज ने यहां प्रसारमाध्यमों से की गई भेंटवार्ता में दी । ‘दिव्य मराठी’ के जालस्थल पर यह भेंटवार्ता प्रसारित की गई है । इस भेंटवार्ता में निम्न प्रश्नोत्तर हुए –
प्रश्न : श्रीराम मूर्ति की प्रतिष्ठापना के लिए २२ जनवरी का मुहूर्त चुनने का क्या कारण है ?
स्वामी गोविंददेवगिरी महाराज : मकरसंक्रांतितक धनुर्मास होता है । उस काल में प्रतिष्ठापना नहीं की जा सकती । इसलिए हम संक्रांति के उपरांत का मुहूर्त खोज रहे थे । २५ जनवरी को प्रयाग में माघ मेला आरंभ होता है । अयोध्या के सभी संत वहां १ माह तक रहते हैं; इसलिए हमने उससे पूर्व का अर्थात १५ से २५ जनवरी के मध्य के अच्छे मुहूर्त के रूप में २२ जनवरी का दिन चुना है । इसके लिए हमने देश के ७ प्रख्यात ज्योतिर्विदों से संपर्क किया । उन सभी की सर्वसम्मति होकर २२ जनवरी का दिन चुना गया है ।
प्रश्न : श्रीराम मंदिर के सूत्र को आगामी लोकसभा चुनाव से भी जोडा जा रहा है, इस विषय में आप क्या बताएंगे ?
स्वामी गोविंददेवगिरी महाराज : लोग अपनी आदत के अनुसार विचार करते हैं । हमें उसमें नहीं जाना है । श्रीराममंदिर मुक्ति हेतु शतकों से संघर्ष हुआ है । ७० वर्ष से अधिक कालतक श्रीरामलला तंबू में रह चुके हैं । उनके लिए हमें भव्य श्रीराममंदिर का निर्माण करना था, उस संकल्प की अब आपूर्ति हुई है; परंतु राजनीति से इसका कोई संबंध नहीं है ।
प्रश्न : आपको सबसे अल्प तथा सर्वाधिक चंदा कितना तथा कहां से मिला ?
स्वामी गोविंददेवगिरी महाराज : हम ऐसा भेदभाव नहीं करेंगे । प्रत्येक श्रद्धालु यथाशक्ति चंदा देता है । यह शृंखला अब भी जारी है । १०० से ३०० करोड तक चंदे की अधिकतम धनराशि है । ३०० करोड से भी अधिक चंदा मिल रहा था; परंतु हमने उसे अस्वीकार किया । विशेष बात यह कि सभी चंदा ‘धनादेश एवं ‘डिमांड ड्राफ्ट’ से लिया गया । कुछ श्रद्धालु सोना-चांदी, हीरे, माणिक, सोने-चांदी के आभूषण एवं विभिन्न वस्त्राभूषण भी दे रहे हैं । चंदादारों को धनराशि की तथा इन वस्तुओं की रसीद दी जाती हैं । संपूर्ण लेन-देन पारदर्शी है ।
प्रश्न : श्रीराममूर्ति निश्चितरूप से कैसी होगी ?
स्वामी गोविंददेवगिरी महाराज : गर्भगृह में ५ वर्ष से अल्पायु की बालरामजी की मूर्ति होगी । कुल ३ मूर्तियां तैयार की जा रही हैं, उनमें से एक ही विराजमान होगी । मूर्ति बनाते समय शिला में कोई दोष हों, तो उससे समस्या होगी; इसलिए हमने ३ मूर्तियों का विकल्प रखा है ।