हिन्दू पुनरुत्थान के ध्येय से प्रेरित ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ में हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा प्रस्तुत ओजस्वी विचार !

पीछले ७०-७५ वर्षाें में भारतियों को उनपर हुए ऐतिहासिक अन्याय को भूल जाने को सिखाया गया ! – आनंद रंगनाथन्, परामर्शदाता संपादक, स्वराज्य


बैंकाक (थाईलैंड) – लेखक तथा स्वराज्य समाचार संस्था के संपादक आनंद रंगनाथन् ने कहा कि ‘भूतकाल में किए कृत्यों से राष्ट्र दुर्बल नहीं होता, अपितु ‘भावी पीढियों’ को उस संदर्भ में क्या और कैसे सिखाया जाता है’, इसपर राष्ट्र का विकास निर्भर होता है । ७०-७५ वर्षाें से अधिक काल भारतियों को उनपर हुए ऐतिहासिक अन्याय को भूल जाने को सिखाया गया । बाबरपुर से भक्तियारपुर, इलाहाबाद से औरंगाबाद और सोमनाथ से काशी विश्वनाथ ऐसे कुछ उदाहरण हैं । ये स्मारक वर्तमान जनता को उनपर थौंपे गए अपमान के केवल एक स्मरण के रुप में संजोए गए हैं । ज्ञानवापी, ऐतिहासिक अन्याय का स्पष्ट उदाहरण है; क्योंकि मस्जिद के गुंबज के मध्यभाग में आधा तोडा गया काशी विश्वनाथ स्पष्ट रुप से दिखता है ।

‘हिन्दू, एक आर्थिक दरवृद्धि’ कहकर अवमानना करनेवालों को भारत पीछे छोड आया !’ – आशिष चौहान, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नॅशनल स्टॉक एक्स्चेंज, भारत

श्री. आशिष चौहान

आशिष चौहान ने कहा, १९७० के उत्तरार्ध में और १९८० के प्रारंभ काल में भारत की आर्थिक दरवृद्धि केवल २ प्रतिशत थी । इसकी विडंबना करते समय कुछ देश इसे ‘हिन्दू, एक आर्थिक दरवृद्धि’ संबोधित कर अपमानजनक पद्धति से नीचा दिखाते थे । हिन्दुओं में दूरी होने के कारण आपस में लडाई होने से भारत का अर्थिक विकास रुक गया था । पीछले ३० वर्षाें में उदारीकरण के पश्चात हिन्दू आर्थिक दरवृद्धि ७.५० प्रतिशत पर पहुंची है और वर्ष २०२७ तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर है।

(सौजन्य : World Hindu Congress) 

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ‘भारत की तारणहार’ सिद्ध हुई ! – मोहनदास पै, उद्योगपति

मोहनदास पै

विख्यात उद्योगपति, समाजसेवक और ‘मणिपाल ग्लोबल एज्युकेशन’ नामक शिक्षा संस्था के अध्यक्ष टी.व्ही. मोहनदास पै ने कहा कि भारत में सामाजिक स्तर पर व्यय किया जानेवाला ३० प्रतिशत धन केवल मुसलमानों पर ही व्यय किया जाता है । मुसलमानों को हिन्दुओं से अधिक अधिकार दिए गए । अत्याचार हिन्दुओं पर होने के पश्चात भी उनपर ही ‘मुसलमानविरोधी’ होने के आरोप लगाए जाते हैं । प्रधानमंत्रीमोदी ने निर्धन भारतियों के बैंक खाते में कुल ३२ लाख करोड रुपए जमा किए । उन्होंने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सहायता से ढाई लाख करोड कर (टैक्स) बचाया । इसीलिए प्रौद्योगिकी भारत की तारणहार सिद्ध हुई । इससे भारतियों को प्रौद्योगिकी की शक्ति प्राप्त होकर सभी का सशक्तिकरण हुआ है ।

पै ने आगे कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने समाजवाद, मूल्यों पर नियंत्रण आदि का अंगीकार कर देश का घात किया । उन्होंने पूंजीवादी और उद्योजकों के साथ दमननीति अपनाई । दूसरी ओर चीन की ओर देखें, तो माओ के नेतृत्व में उन्होंने वर्ष १९४९ से महिलाओं को शिक्षा देने का आरंभ किया । नेहरू ने इसके लिए कोई प्रयत्न नहीं किए । उन्होंने प्राथमिक शिक्षा और स्वास्थ पर धन व्यय किया । जहां महिलाएं शिक्षित नहीं, उस समाज का विकास संभव नहीं है । इसीलिए भारत पीछे रह गया । हमें यह ध्यान में लेना चाहिए कि, ‘कालीमाता के सामने भगवान शिव भी नहीं टिक पाएं ।’

संपूर्ण भारत के महान हिन्दू राजाओं का इतिहास प्रसारित करना आश्यक ! – विक्रम संपथ, इतिहास विशेषज्ञ

विख्यात हिन्दुत्वनिष्ठ इतिहास विशेषज्ञ और सावरकर अभ्यासक श्री. विक्रम संपथ ने ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को सदैव उसपर आक्रमण करनेवालों की दृष्टि से ही देखा गया है । हमारे बच्चों को भारत द्वारा हारे गए युद्धों की लंबी सूची सिखने के लिए बाध्य किया गया । इसमें तैमुरी, मुघल, ग्रीक, हुन, अरब, तुर्की, डच, पुर्तगीज, फ्रेंच और ब्रिटिश आदियों द्वारा हुई हमारी पराजय ही हमें सिखाई गई । ऐसा है, तब भी हमने कुछ युद्ध तो जीते ही होंगे; क्योंकि हमने एक के बाद एक आक्रमणों को सामना किया और तत्पश्चात भी नए-नए लुटेरे हमें लुटने के लिए आते रहे । जो भारतीय राजा विजयी हुए, जिन्होंने हमें प्रतिष्ठा प्राप्त करवाई, उनका स्मरण हमें क्यों नहीं करवाया जाता ? हमारा इतिहास देहली को केंद्र मानकर क्यों लिखा गया ? मैं देहली पर प्रेम करता हूं, यह सुंदर शहर है; परंतु लोधी, खिलजी और तुगलक जैसे दुराग्रही तथा भयानक राजवंश, जिन्होंने हमारी धरोहर में कोई योगदान नहीं दिया, उनका उल्लेख इतिहास की पुस्तकों में पाया जाता है । ऐसा क्यों ? दूसरी ओर भारत के दक्षिण, उत्तर और दक्खन के राजपूत, मराठा, सातवाहन, राष्ट्रकूट, अहोम, पल्लव, चोल आदि साम्राज्यों का हमारे पुस्तकों में विशेष उल्लेख नहीं होता । इसीलिए आक्रमकों को सामने रखकर लिखा इतिहास सिखाना बंद कर भारत के महान हिन्दू राजाओं का इतिहास प्रसारित करना आवश्यक है ।

(सौजन्य : World Hindu Congress)  

‘द केरल स्टोरी’ चलचित्र का सभी ओटीटी माध्यमों पर प्रतिबंध ! – निर्माता विपुल शाह

लव जिहाद का षड्यंत्र उजागर करनेवाला चलचित्र ‘द केरल स्टोरी’ के निर्माता विपुल अमृतलाल शाह ने कहा कि ‘द केरल स्टोरी’ चलचित्र पर सभी ओटीटी माध्यमों ने प्रतिबंध लगाया है । लोकप्रिय तथा महिला केंद्रित होने पर भी किसी भी ओटीटी को उसे खरीदने की इच्छा नहीं हुई । ऐसा होते हुए भी केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हमें जो आधार और मार्गदर्शन दिया, उसीसे ही हम यह चलचित्र बना सके । पूरी प्रक्रिया में उन्होंने हमारी सहायता की ।

(सौजन्य : World Hindu Congress)   

हिन्दुओं द्वारा शक्तिप्रदर्शन किया जाएगा, तो हिन्दू विरोधक झुक जाएंगे ! – स्वामी मित्रानंद, चिन्मय मिशन

स्वामी मित्रानंद,

हिन्दू संगठनों को एक-दूसरे के कार्य की प्रशंसा करनी चाहिए । यह अनिवार्य है । यदि हम ऐसा करेंगे और हमारी शक्ति का प्रदर्शन करेंगे, तो परिणाम पूर्णतः भिन्न होंगे । हिन्दू विरोधक झुक जाएंगे । इसलिए हमें भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार का स्मरण करना होगा, ऐसे उद्गार चिन्मय मिशन के स्वामी मित्रानंद ने उपस्थितों को संबोधित करते समय निकाले ।

(सौजन्य : World Hindu Congress)    

भगवान नरसिंह ने पुनश्च अवतार धारण किया; क्योंकि उस समय एक ही हिरण्यकशिपु था । अब अनेक हैं । भगावन नरसिंह का आवाहन करना होगा । इसके लिए हमें संगठित होना होगा । हमारी प्रत्येक संस्था छोटे प्रह्लाद समान है । जब हम एकत्रित रुप से प्रदर्शन करेंगे, तब भगवान नरसिंह प्रकट होंगे । भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम कहते थे, ‘‘शक्ति, शक्ति का आदर करती है’’ । स्वामी मित्रानंद ने कहा कि यदि इस प्रकार एक बार हम संगठन का सामर्थ्य दिखा पाएंगे, तो सभी झुक जाएंगे ।