‘दारुल उलूम देवबंद’ के मदरसों में यौन शोषण को उचित बतानेवाले ‘बहिश्ती जेवर’ पुस्तक की शिक्षा देने पर प्रतिबंध !

नई देहली – राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने ‘बहिश्ती जेवर’ पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने के लिए उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को नोटिस भेजा था । इस नोटिस में दारुल उलूम देवबंद में छात्रों को दी जानेवाली शिक्षा के संबंध में कुछ प्रश्न उठाए गए थे । इसके उपरांत प्रशासन ने अब देवबंद के जालस्थल से इस पुस्तक में समाहित आपत्तिजनक अंश को हटा दिया है, साथ ही दारुल उलूम देवबंद के मदरसों में इस पुस्तक की शिक्षा देने पर प्रतिबंध लगा दिया है । इस संदर्भ में आयोग ने जानकारी दी है । इस पुस्तक में पशुओं के साथ बलात्कार करना, मृतक महिलाओं तथा अल्पायु लडकियों के साथ यौन संबंध बनाने का समर्थन किया गया है । इसमें विशेष बात यह है कि इस पुस्तक में स्नान न करने को भी उचित बताया गया था ।

१. आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सामाजिक माध्यमों में एक पोस्ट प्रसारित कर बताया कि अल्पायु लडकियों का किस प्रकार यौन शोषण किया जाए, यह बतानेवाले मौलाना अश्रफ अली थानवी द्वारा लिखित पुस्तक ‘बहिश्ती जेवर’ का सहारनपुर के देवबंद के मदरसों से फतवे निकालने के लिए उपयोग किया जा रहा था, साथ ही बच्चों को शिक्षा देने के लिए भी इसका उपयोग किया जा रहा है । इस पर प्रशासन को नोटिस देने के उपरांत सहारनपुर प्रशासन ने इस पुस्तक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है । इस विषय में और अधिक जांच की जा रही है ।

२. देहली की सामाजिक संस्था ‘मानुषी सदन’ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से इस संबंध में शिकायत की थी, जिसके उपरांत आयोग ने प्रशासन को नोटिस दिया था ।

संपादकीय भूमिका 

  • मदरसों से और क्या सिखाया जाता है, इसे अलग से बताने की आवश्यकता नहीं है ! सरकार को अब देश के मदरसों पर ही प्रतिबंध लगा देना चाहिए, यही इससे स्पष्ट होता है । भारत में यदि इजराइल जैसी व्यवस्था होती, तो यह कब का हो चुका होता !
  • ‘दारुल उलूम’ का अर्थ ‘ज्ञान का घर’ होता है; परंतु यहां कैसा ‘ज्ञान’ दिया जाता है, यह समझ में आता है !