भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव की मांग !
नई देहली – बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने एक समाचार संस्था से चर्चा करते हुए मांग की कि भारत के संविधान से ‘इंडिया’ नाम हटा कर देश का नामकरण ‘भारत’ किया जाए ।
बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने संविधान से ‘INDIA’ शब्द हटाने की मांग की है.#BJP #HarnathSinghYadavhttps://t.co/zyQMNII5W9
— Zee News (@ZeeNews) September 5, 2023
हरनाथ सिंह यादव द्वारा प्रस्तुत सूत्र !
१. पूरे देश को इस परिवर्तन की आवश्यकता है । चारों ओर से यह मांग की जा रही है । सरसंघचालक ने भी ‘भारत’ शब्द के प्रयोग करने का आवाहन किया है । उन्होंने कहा कि लोगों को ‘भारत’ शब्द का ही प्रयोग करना चाहिए । ‘भारत’ शब्द हमें ऊर्जा देता है, जो ‘इंडिया’ नाम से नहीं प्राप्त होती ।
२. यदि ‘सिंध’ ‘भारत’ बन गया, तो इंडोनेशिया में सिंध नदी कहां थी ? उस क्षेत्र में सिंधु नदी कहां थी जहां ‘एंग्लो-इंडियन’ रहते थे ? ऐसे अनेक देश हैं जहां ‘इंड’ शब्द आता है , वहां सिन्धु नदी कहां थी ?
३. भारत शब्द हमारी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सांस्कृतिक संपदा तथा सांस्कृतिक परिचय का प्रतीक है । अतः ‘भारत’ शब्द का प्रयोग ही किया जाना चाहिए । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि भारत की धरती पर दासता (गुलामी) के प्रतीक नहीं होने चाहिए ।
४. वेदों के एक श्लोक का उल्लेख करते हुए यादव ने कहा कि समुद्र के उत्तर में हिमालय है तथा हिमालय के दक्षिण की भूमि को ‘भारत’ कहा जाता है । यहां के लोगों को ‘भारतीय’ कहा जाता है । अतः ‘इंडिया’ के स्थान पर ‘भारत’ शब्द का प्रयोग ही किया जाना चाहिए ।
‘इंडिया’ शब्द अंग्रेजों द्वारा हमें दी गई अपमानजनक गाली है ! – यादवयादव ने कहा कि अंग्रेजी के ‘इंडिया’ शब्द से अंग्रेजों ने हमारा नामकरण किया । अंग्रेज हमें अशिक्षित समुदाय मानते थे, इसलिए उन्होंने भारत का नाम ‘इंडिया’ रख दिया किंतु हमारे देश में ऐसी विकृत मानसिकता के लोग भी हैं, जो सामान्य लोगों को पथभ्रष्ट करते हुए कहते हैं कि अंग्रेज सिंध से आए थे, वे ‘सिंध’ शब्द नहीं बोल पाते थे, वे ‘इंड’ कहते थे तथा कालांतर में धीरे-धीरे यही ‘इंड’ बन गया’ इंडिया’… ‘इंडिया’ शब्द अंग्रेजों द्वारा हमें दी गई गाली है, अत: ‘इंडिया’ शब्द हटाना ही चाहिए । |
संपादकीय भूमिकाहिन्दुओं एवं उनके संगठनों को संगठित होकर संविधान में पारिवर्तन करके देश को ‘भारत’ नाम देने के साथ ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करने की मांग करनी चाहिए, जिससे कोई भी सनातन धर्म के विरुद्ध बोलने का साहस नहीं करे ! |