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नई देहली – अल्पसंख्यक मंत्रालय ने छात्रवृत्ति की योजना में हुए एक बडे घोटाले का भांडाफोड किया है । इसमें २१ राज्यों में १ हजार ५७२ अल्पसंख्यक शैक्षिक स्ंसाथानों में से ८३० संस्थान, अर्थात ५३ प्रतिशत संस्थान केवल कागज पर हैं । इस प्रकरण की जांच केंद्रीय अन्वेषण विभाग को सौंपी गई है । प्रशासकीय अधिकारियों द्वारा फर्जी छात्रों के नाम पर गत ५ वर्षों में १४४ करोड ८३ लाख रुपए का किया गया घोटाला सामने आया है ।
Minority Affairs Ministry busts a massive minority scholarship scam in internal investigation, over 50% institutions fake, CBI probe orderedhttps://t.co/7GYiegdAd6
— OpIndia.com (@OpIndia_com) August 19, 2023
१. छात्रवृत्ति के नाम पर फर्जी मदरसों तथा फर्जी छात्रों के नाम पर करोडों रुपए की छात्रवृत्ति बैंक खातों से निकाल ली गई ।
२. देश में साधारण १ लाख ८० हजार अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान हैं । उनमें से १ लाख ७५ हजार मदरसों में से केवल २७ हजार मदरसे ही रजिस्टर्ड हैं । जो छात्रवृत्ति पाने के पात्र हैं ।
३. यह छात्रवृत्ति पहली कक्षा से लेकर (पीएचडी) तक के छात्रों को दी जाती है । इसमें लगभग ४ हजार रुपए से लेकर २५ हजार रुपए तक दिए जाते हैं ।
घोटाले के चौंकाने वाले आंकडे !
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इस प्रकार घोटाला सामने आया !
१. अल्पसंख्यक मंत्रालय के सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष २०१६ में जब संपूर्ण छात्रवृत्ति की प्रक्रिया को ‘डिजिटलाइज’ किया गया, तो घोटाले की जानकारी सामने आने लगी ।
२. वर्ष २०२२ में जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को अल्पसंख्यक मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया, तब इस प्रकरण की गंभीरता को समझते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच आरंभ हुई ।
३. केंद्र सरकार ने अभी तक अल्पसंख्यक संस्थानों के बच्चों के लिए २२ हजार करोड रुपए व्यय किए हैं । इसमें पिछले ४ वर्षों से प्रत्येक वर्ष २ हजार २३९ करोड रुपये जारी किए गए । देश की विभिन्न बैंकों की १२ लाख शाखाओं में से प्रत्येक शाखा से साधारण ५ हजार विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के पैसे जा रहे थे ।
संपादकीय भूमिका
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