भारतीयों की तपस्या से निर्माण होगा १ सहस्त्र वर्षों का स्वर्णिम इतिहास !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ७७ वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से देशवासियों को संबोधित किया !

लाल किले से देशवासियों को संबोधित करते हुएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई देहली – आप मेरे शब्द लिख कर रख लीजिए । इस कालखंड में हम जो करेंगे , जो निर्णय लेंगे, जो त्याग एवं तपस्या करेंगे, उससे आने वाले १ सहस्त्र वर्षों का स्वर्णिम इतिहास अस्तित्व में आएगा । इस अवधि में घटित होने वाली घटनाओं का आगामी १,००० वर्षों पर प्रभाव पडेगा । हम १,००० वर्ष की दासता एवं १,००० वर्षों के भव्य भारत के मध्य भाग में खडे हैं । भारत के ७७ वें स्वतंत्रता दिवस पर राजधानी स्थित लाल किले की प्राचीर से भारतीयों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हम जिस संधिकाल में विद्यमान हैं, उसमें हम कहीं भी रुकना नहीं चाहते हैं, साथ ही हमें किसी भी दुविधाजनक मन:स्थिति को स्वीकार नहीं करना है ।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने डेढ घंटे तक लोगों को संबोधित किया । इसमें उन्होंने अपनी सरकार द्वारा गत ९ वर्षों में किए गए कार्यों की जानकारी दी तथा भविष्य के लिए निश्चित किए गए लक्ष्यों के संबंध में भी सूचित किया । इस समय उन्होंने बार-बार ‘मेरे प्रिय परिवारजन’ वाक्य का प्रयोग किया । इस प्रकार जनता को प्रसन्न करने का उनका प्रयास उनके भाषण का एक महत्त्ववपूर्ण पहलू दृष्टिगत हुआ ।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा,

१. गत १,००० वर्षों में हम पर अनेक आक्रमण हुए हैं । वह कैसा विचित्र समय था ! हमने १,००० वर्षों की दासता भोगी किंतु जनचेतना के त्याग एवं तपस्या से हमें १५ अगस्त १९४७ को स्वतंत्रता प्राप्त हुई ।

२. हम वर्ष २०४७ में भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ के रूप में देखने का स्वप्न लेकर आगे बढ रहे हैं । यह केवल एक स्वप्न नहीं, अपितु १४० करोड भारतीयों का संकल्प है । इसके लिए हमें प्रयासों की पराकाष्ठा करनी होगी । इसके साथ ही हमारी सबसे बडी शक्ति है हमारा राष्ट्रीय चरित्र ! यह वह सूत्र है जो आपको अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए प्रचुर एवं प्रखर गति देगा । अपने राष्ट्रीय चरित्र को उज्ज्वल, पौरुष, पराक्रमी एवं सशक्त बनाना हम सबका सामूहिक दायित्व है । इसके लिए हमें प्रति पल देश को जोडने का प्रयास करना होगा । यदि हम वर्ष २०४७ में भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ के रूप में देखना चाहते हैं, तो किसी भी परिस्थिति में भ्रष्टाचार को सहन न करें !

३. हमें तीन सूत्रों से जूझना होगा । वे हैं भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद एवं आलस्य ! भ्रष्टाचार ने दीमक की तरह हमारी सारी व्यवस्थाओं तथा सामर्थ्य को नष्ट करने का प्रयास किया है । यदि हमें भ्रष्टाचार से मुक्ति पानी है, तो देश के प्रत्येक क्षेत्र में प्रयत्न करना होगा । परिवारवाद ने हमारे देश का गला घोंट दिया है, लोगों से उनके अधिकार छीन लिए हैं । तुष्टीकरण ने हमारे समावेशी राष्ट्रीय चरित्र पर कलंक लगा दिया है । हम सबको इन तीन शत्रुओं के विरुद्ध निर्णायक संघर्ष करना है ।

शांति से ही हल हो सकती है मणिपुर की समस्या ! – प्रधान मंत्री

मणिपुर में हिंसा के प्रकरणों पर प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि गत कुछ दिनों से मणिपुर समेत कुछ राज्यों में हिंसा की घटनाएं हो रही हैं । विशेष कर मणिपुर में माताओं-बहनों के सम्मान को बाधित किया गया, अनेक लोगों का प्राणांत हुए हैं किंतु अब मणिपुर के लोग शांति बनाए हुए हैं । शांति ही एकमात्र मार्ग है जिससे हम समाधान निकाल सकेंगे । उनकी समस्याओं के समाधान के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार मिलकर कार्यरत हैं ।