उत्तर प्रदेश, बिहार एवं आंध्र प्रदेश राज्यों में बच्चों की तस्करी की सर्वाधिक घटनाएं !

राजधानी देहली में पूरे ६८ प्रतिशत बढोतरी !

नई देहली – केंद्र सरकार ने वर्ष २०१६ से २०२२ की कालावधि में हुई बच्चों की तस्करी के आंकडे प्रस्तुत किए हैं तथा कहा जाता है कि उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार एवं आंध्र प्रदेश राज्यों में इसकी सर्वाधिक घटनाएं हुई हैं । पाया गया है कि इसमें राजधानी देहली की तस्करी की घटनाओं में पूरे ६८ प्रतिशत बढोतरी हुई है । येह आंकडे ‘गेम्स ट्वेन्टी फोर बाय सेवन’ एवं ‘कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाऊंडेशन’, इन २ संगठनों द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं ।

१. इन आंकडों के अनुसार वर्ष २०१६ से २०२२ की कालावधि में २१ राज्यों के २६२ जिलों के बच्चों की तस्करी के आंकडे संकलित किए गए हैं ।

२. कोरोना काल के पूर्व अर्थात वर्ष २०१६ से २०१९ के ४ वर्षों में उत्तर प्रदेश में तस्करी की २६७ घटनाएं हुई थी, जबकि कोरोना काल के उपरांत अर्थात वर्ष २०२१-२०२२ की समयावधि में ये आंकडे १ सहस्र २१४ तक पहुंच गए ।

३. कर्नाटक में ये आंकडे १८ गुना बढ गए हैं । वहां ये घटनाएं ६ से ११० तक बढ गई हैं ।

४. ऐसा होते हुए भी, इस विवरण (रिपोर्ट) में कहा गया है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागृति अभियानों के कारण बच्चों की तस्करी के परिवाद पुलिस थाने में बडी मात्रा में प्रविष्ट होना आरंभ हुआ है । (इसके साथ ही ये घटनाएं मूलतः कैसे रोकी जाएं, यह देखना अधिक आवश्यक है ! – संपादक)

५. इस विवरण (रिपोर्ट) में बच्चों की तस्करी पर प्रभाकारी  उपाय करने के लिए तस्करी विरोधी कानून तत्काल अधिक कठोर करने की आवश्यकता पर बल (जोर) दिया गया है ।

६. विवरण में कहा गया है कि वर्ष २०१६ से २०२२ की कालावधि में १८ वर्ष आयु से अल्प आयु के १३ सहस्र ५४९ बच्चों को बचाने में सफलता प्राप्त हुई है ।

होटल एवं ढाबों में सर्वाधिक बाल-श्रमिक देखे गए !

विवरण के अनुसार हॉटेल एवं ढाबों में सर्वाधिक संख्या में बाल-श्रमिक हैं एवं उसकी मात्रा १५.६ प्रतिशत है । तदनंतर परिवहन व्यवसाय में १३ प्रतिशत, जबकि कपडों के व्यवसाय में ११.१८ प्रतिशत बाल-श्रमिकों को काम करने के लिए बाध्य किया जाता है ।

संपादकीय भूमिका 

बच्चों की तस्करी का विषय अत्यंत गंभीर है तथा इस पर तुरंत स्थायीरूप से उपाय करना आवश्यक है । इसलिए कठोर कानून के साथ ही सामाजिक स्तर पर जागृति होना भी उतना ही आवश्यक है !