मणिपुर हिंसा का प्रकरण
नई देहली – २६ जुलाई को लोकसभा में विरोधी दलों द्वारा मणिपुर में चल रही हिंसा के प्रकरण में केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए मोदी सरकार के विरुद्धअविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है । लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिडला ने उसे स्वीकार कर कहा है, ‘चर्चा की तिथि कुछ समय पश्चात निश्चित की जाएगी ।’ विरोधी दलों की ओर से कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए मांग की है कि प्रधान मंत्री मोदी को मणिपुर हिंसा के प्रकरण में लोकसभा में आकर उत्तर देना चाहिए ।’
Lok Sabha Speaker accepts Opposition’s no-confidence motion
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२० जुलाई से संसद का कार्य आरंभ हुआ है तथा मणिपुर हिंसा को लेकर दोनों सदनों का कार्य अनेक बार बंद हो चुका है । केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस प्रस्ताव के संदर्भ में बोलते समय कहा, ‘प्रस्ताव भले ही आएं ! हम किसी भी प्रकार की चर्चा के लिए तैयार हैं ।’
क्या है अविश्वास प्रस्ताव ?‘सरकार अपना दायित्व उचित पद्धति से नहीं निभा रही’, ऐसा आरोप लगाते हुए सरकार के विरुद्ध लोकसभा में ५० से अधिक सांसद अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं । इस प्रस्ताव पर निश्चित दिनों में चर्चा की जाती है । प्रस्ताव प्रस्तुत करनेवाले सांसद इस समय सरकार की त्रुटियां दिखाते हैं, तभी सरकार द्वारा भी उत्तर दिया जाता है । तदनंतर सदन में उपस्थित सांसदों का मतदान लिया जाता है । इसमें यदि सरकार बहुमत सिद्ध न कर सकी, तो सरकार पदच्युत हो जाती है । |