आज के बच्चे एवं युवकों को चल-दूरभाष (मोबाइल) से चिपके रहने का व्यसन ही लग गया है । अभिभावक अपने बच्चों को उनकी ६-७ वर्ष की आयु से ही चल-दूरभाष का उपयोग करने के लिए देते हैं । इससे ‘चल-दूरभाष तथा उस माध्यम से विश्व से होनेवाला परिचय’, उन बच्चों का बस इतना ही विश्व बन जाता है । इन बच्चों को उसके परे यह ज्ञात नहीं होता । कुछ अभिभावक, सामाजिक तथा राष्ट्र-धर्म हितैषी संगठन बच्चों में जागृति लाने का प्रयास कर उन्हें अपने शौक संजोने अथवा पुस्तकें पढने का सुझाव देते हैं; परंतु उन्हें निश्चित दिशा नहीं मिलती । इसलिए प्रस्तुत लेख में कुछ उदाहरणों के माध्यम से इस विषय को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है ।
१. योगासन/व्यायाम करना
हमारे क्षेत्र में योगासन एवं व्यायाम की शिक्षा देनेवाले अथवा उसे करानेवाली अनेक संस्थाएं कार्यरत रहती हैं । वहां जाकर समूह में योगासन एवं व्यायाम करने से उनकी आदत पड जाती है तथा मन को नियमितता का संस्कार भी मिलता है । स्वस्थ रहने, अच्छे ढंग से अध्ययन करने तथा राष्ट्र-धर्म से संबंधित कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिए सुदृढ शरीर प्राप्त करना चाहिए ।
२. शूरता एवं वीरता संजोनेवाले उपक्रम
हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हम ऐसे देश में रहते हैं, जहां हिन्दवी स्वराज्य संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित सैकडों दुर्ग-किले हैं । इन दुर्ग-किलों पर जाकर वहां पर्वतारोहण करने के साथ ही हम इतिहास का आकलन भी कर सकते हैं । उससे हम छत्रपति शिवाजी महाराज के गुणों से प्रत्यक्ष अवगत हो जाएंगे । कुछ संगठन साहसिक खेल के प्रकार एवं चुनौतीपूर्ण खेल उपलब्ध कराते हैं, उनका लाभ उठाएं ।
३. अग्निशमन एवं आपातकालीन प्रशिक्षण
सरकार की ओर से अग्निशमन एवं आपातकालीन प्रशिक्षण दिया जाता है, साथ ही कुछ संगठन में यह प्रशिक्षण देते हैं । इनमें समाहित कुछ तंत्र सीख लेने से घर अथवा घर के आसपास कहीं अग्नि का प्रकोप होने पर उसे बुझाने के लिए उनका उपयोग किया जा सकता है । कुछ घरों, कार्यालयों, महाविद्यालयों, विद्यालयों आदि स्थानों पर ‘फायर एक्स्टिंग्विशर’ सहजता से उपलब्ध होता है; परंतु उसका उपयोग कैसे करना चाहिए ?, यह बहुत थोडे लोगों को ज्ञात होता है ।
४. सरकार की योजनाओं में सम्मिलित होना
केंद्र सरकार ने भारतीय युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण मिले, देश के पास ऊर्जावान प्रशिक्षित युवक हों तथा उसके साथ युवकों को रोजगार भी उपलब्ध हो सके आदि विभिन्न उद्देश्यों से ‘अग्निवीर’ योजना आरंभ की है । जो युवा इसके लिए इच्छुक एवं उत्सुक हैं, वे इस योजना में सम्मिलित होकर उसका लाभ उठा सकते हैं । इसके अतिरिक्त आप विद्यालयीन जीवन में एन.सी.सी. में सम्मिलित हो सकते हैं ।
५. प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी लेना
आज के भागदौड भरे जीवन में अनेक लोगों के पास विश्राम करने का भी समय नहीं है । आज की जीवनशैली, आहार-विहार, बाहर का खाना इत्यादि के कारण अल्पायु में ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय की बीमारियों ने युवाओं को घेर लिया है । व्यायामशाला में व्यायाम करते समय, खेलते समय, सीखते समय, यात्रा में चक्कर आना, हृदयाघात होना आदि घटनाएं होकर अनेक युवाओं ने अपने प्राण गंवा दिए हैं । ऐसे समय में व्यक्ति को जब शारीरिक अस्वस्थता होने लगती है, उस समय उसके पास अनेक लोग होते हुए भी असहाय होकर वे कुछ भी नहीं कर सकते । इस संबंध में हमें ऐसे अनेक वीडियो देखने के लिए मिलते हैं । यहां प्राथमिक चिकित्सा के कुछ तंत्र ज्ञात हों, तो पीडित लोगों की सहायता की जा सकती है । इसलिए युवकों को प्राथमिक चिकित्सा सीखनी चाहिए ।
६. आध्यात्मिक/धार्मिक संस्था के कार्य में भाग लेना
शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक इत्यादि सभी बलों में आध्यात्मिक बल ही अधिक शक्तिशाली होता है । आध्यात्मिक बल पर हम अनेक अच्छे कार्य संपन्न करा सकते हैं । भारतीय संस्कृति का मुख्य उद्देश्य ही है, ‘व्यक्ति में गुणों का विकास तथा दोष-अहं का निर्मूलन कर उसे ईश्वरस्वरूप बनाना ।’ इससे व्यक्ति सर्वांगीण दृष्टि से उत्तरोत्तर प्रगति करते हुए आगे बढता है । यही वास्तविक व्यक्तित्व का विकास होता है । आध्यात्मिक बल से युक्त व्यक्ति केवल अपने लिए ही नहीं, अपितु उसके परिवार, कार्यस्थल, समाज, ऐसे अनेक स्थानों पर प्रधानता लेकर अनेक लोगों का उचित मार्गदर्शन कर सकता है । ऐसा युवक समाज एवं राष्ट्र को भी दिशा देने के लिए सक्षम हो जाता है । गुरुकुल पद्धति में यह विचार तो था ही; परंतु कालांतर में इस पद्धति के नष्ट हो जाने के कारण अब आध्यात्मिक अंग पर विचार करने की आवश्यकता पड गई है । आप अपने क्षेत्र में कार्यरत आध्यात्मिक संस्थाओं के कार्य में सम्मिलित हो सकते हैं । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा प्रत्यक्ष एवं ‘ऑनलाइन’ धर्मशिक्षावर्ग चल रहे हैं, जिनमें आप सम्मिलित हो सकते हैं ।
७. सार्वजनिक समूहों के कार्य में सहभाग
हमारे क्षेत्र में सार्वजनिक गणेशोत्सव अथवा नवरात्रोत्सव समूह कार्यरत होते हैं । उन्हें उत्सवों के समय कार्यकर्ताओं की आवश्यकता तो होती ही है । वहां की व्यवस्था समझ लेने से हमें त्योहार एवं उत्सवों का लाभ मिलता है, स्वयं में वहां की सेवाओं का गुण-कौशल आत्मसात करने से लाभ होता है, साथ ही युवा समूहों के माध्यम से संगठन का भी कार्य होता है । केवल फेसबुक, वॉटस्एप जैसे सामाजिक माध्यमों पर समूह बनाकर उन पर केवल जानकारी आदान-प्रदान करने की अपेक्षा प्रत्यक्ष एकत्रित होना सदैव अधिक उत्तम !
८. रुचियां संजोना
युवक गायन, वादन, चित्रकला, हस्तकला इत्यादि रुचियां संजो सकते हैं, कुछ युवाओं में अन्य रुचियां भी होती हैं । रुचियां संजोने के कारण हम पर महाविद्यालयीन अध्ययन अथवा प्रतियोगी परीक्षा का जो तनाव होता है; उसे दूर करने में सहायता मिलती है । इसके साथ ही मन को उत्साहित करने में भी इन रुचियों का उपयोग होता है । तैरना सीख लेने से एक रुचि के रूप में तथा आपातकालीन बाढ की स्थिति में उसका लाभ होता है ।
९. सरकारी आवाहनों पर ध्यान रखना
प्राकृतिक अथवा मनुष्यनिर्मित आपदाओं के समय सरकार की ओर से रक्तदान या प्रत्यक्ष मानव संसाधन की सहायता के रूप में आवाहन किया जाता है । ऐसे आवाहनों पर ध्यान रखकर उनमें भाग लेने से उन्हें एक भिन्न अनुभव मिलता है तथा समाज के लिए कुछ करने की संतुष्टि भी मिलती है ।
यह सूची बहुत ही बडी है । युवक निश्चय करें, तो वे इसी आयु में अनेक अंगों से तैयार हो सकते हैं । उनमें से कुछ कार्य करें, तो उन्हें एक दिशा मिलेगी तथा शिक्षा के अतिरिक्त ऐसी बातें सीखने में अपने जीवन के अमूल्य समय का उपयोग करने से उन्हें संतुष्टि भी मिलेगी ।
– श्री. यज्ञेश सावंत, सनातन आश्रम, देवद, महाराष्ट्र.