बीजिंग (चीन) – चीन ने तिब्बत में भारत चीन सीमा के समीप यारलूंग-त्संगपो नदी पर विश्व का सबसे बडा बांध बनाने की योजना बनाई है । ब्रह्मपुत्र नदी को चीन में यारलूंग-त्संगपो इस नाम से पहचाना जाता है । ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाकर चीन का विद्युत निर्मिति परियोजना निर्माण करने का प्रयास है । इसके लिए चीन भारत के कुछ क्षेत्र का पानी कम करने के लिए नदी का प्रवाह उत्तर दिशा की ओर मोड सकता है । यदि ऐसा हुआ, तो भारत के लिए यह स्थिति खतरनाक हो सकती है । भारत-चीन संबंधों के अंतर्राष्ट्रीय अध्ययनकर्ता ब्रह्मा चेलानी ने यह बात सही होने की कही है ।
चीन, तिब्बत में एलएसी के करीब यारलुंग-त्संगपो नदी की निचली धारा पर एक सुपर बांध बनाने की अपनी योजना को आगे बढ़ा रहा है। इस नदी को भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है।#China #brahmaputrariver https://t.co/z5OoJQowXW
— India TV (@indiatvnews) July 19, 2023
१. ‘निक्केई एशिया’ में इस संदर्भ में लेख प्रकाशित हुआ है । इसके अनुसार इस बांध की क्षमता ६० गीगावॉट होगी । भारत की सीमा के समीप चीन का बांध आकार और क्षमता के स्तर पर चीन के ‘थ्री गॉर्जेस’ इस सबसे बडे बांध से कई गुना बडा होने की बात कही जा रही है ।
२. नवंबर २०२० में बांध के निर्माण का समाचार चीन के सरकारी समाचार पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ में प्रकाशित हुआ था ।
३. ‘पावर कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन ऑफ चाइना’ ने इस विद्युत जल परियोजना का निर्माण करना अर्थात एक ऐतिहासिक अवसर होने की बात कही है ।
४. कैलाश पर्वत की ‘एंगसी हिमनदी’ से निकली और पूर्व हिमालय से होती हुई ब्रह्मपुत्र नदी ३ सहस्र ६९६ किलोमीटर लंबी है । तिब्बत से वह भारत में आती है और बांग्लादेश में पहुंचकर समुद्र में मिलती है । यह विश्व की नवीं सबसे बडी नदी है ।
● China 🇨🇳 is continuing its plans to build a “super” dam on the lower reaches of the Yarlung-Tsangpo River (Brahmanputra in India ) close to the Line of Actual Control (LAC) in Tibet .
● China🇨🇳 plans to generate hydroelectric power at the point on the… pic.twitter.com/UuB6Avyr1s
— Resonant News🌍 (@Resonant_News) July 19, 2023
संपादकीय भूमिकाचीन की इस खुराफात पर लगाम लगाने के लिए भारत को जैसे को तैसा उत्तर देने के लिए व्यूहरचना करनी चाहिए, ऐसा ही राष्ट्र प्रेमियों को लगता है ! जिसमें तिब्बतियों पर चीन द्वारा किया अत्याचार विश्व के सामने रखने के साथ-साथ चीनी वस्तुओं पर भारत में प्रतिबंध लगाने जैसे प्रयास प्रधानता से करने आवश्यक ! |