हिन्दू राष्ट्र की बौद्धिक स्तर की लडाई जीतने के लिए हिन्दुओं के विरोध के ‘नैरेटिव’ (कथानकों) को समझ लेना आवश्यक ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृती समिती

श्री. रमेश शिंदे

रामनाथी (गोवा) – केंद्र मे हिन्दुत्वनिष्ठ दल की सत्ता आते ही अकस्मात ही संपूर्ण देश में सभी माध्यमों में असहिष्णुता बढने की चर्चा बडी मात्रा में होने लगी । ‘अल्पसंख्यकों पर अत्याचार आरंभ हुए’, ‘मुसलमानों की सामूहिक हत्याएं की जाती हैं’, ‘सरकार पक्षपातपूर्ण नीति अपनाकर मुसलमानों के विरुद्ध कानून बनाती है’, ‘दंगे कराकर अल्पसंख्यकों को मारा जाता है’, साथ ही ‘भारत में अल्पसंख्यकों का अस्तित्व संकट में है’, इस प्रकार से विभिन्न कथानक रचकर संपूर्ण विश्व में उनका प्रचार किया गया; परंतु उन सभी कथानकों के पीछे एक बीज, संकल्पना एवं नीति (एजेंडा) था । इस माध्यम से विश्वस्तर पर हिन्दुओं को असहिष्णु, साथ ही आक्रामक प्रमाणित किया जाता है । इसमें ‘भारतीय मुसलमानों को पीडित दिखाना’, यह उद्देश्य है । इससे मुसलमानों की जिहादी मानसिकता को बल देने का प्रयास चल रहा है । उसके कारण इस प्रकार के काल्पनिक कथानकों को (नैरेटिवज्) को समझ लेना आवश्यक है । जबतक हम इसे समझ नहीं लेंगे, तबतक हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में बाधा बननेवाली समस्याओं को हम समूल नष्ट नहीं कर सकेंगे, ऐसा स्पष्टतापूर्ण प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में ‘संविधान एवं हिन्दू राष्ट्र’ विषय पर आयोजित उद्बोधन सत्र में ‘हिन्दू राष्ट्र विरोधियों की काल्पनिक कथानकों का प्रचार’ विषय पर संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।