रामनाथी, २२ जून – जब कोई नया संगठन स्थापित किया जाता है, तब उसे ध्येय भी निश्चित करना आवश्यक है । ध्येय निश्चित करने पर ही संगठन के कार्य को दिशा एवं गति मिलती है । उसीप्रकार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रत्येक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन को ध्येय निर्धारित कर ही कार्य करना आवश्यक है । देश को स्वतंत्रता मिलने के उपरांत पंडित एवं महात्माओं ने सर्वधर्मसमभाव का नैरेटिव (कथानक) भारतीयों पर थोपा ।
उसने संपूर्ण हिन्दू धर्म को घेर लिया । सनातन धर्म के ज्ञान की परंपरा (ब्राह्मतेज) एवं शौर्य परंपरा (क्षात्रतेज) का पालन होना चाहिए । भारत की ज्ञानपरंपरा को देखकर संपूर्ण जग भारत की ओर आकर्षित हो रहा है । हिन्दुओं का शास्त्र एवं विज्ञान परिपूर्ण है । इसलिए हिन्दू धर्मसिद्धांत केवल भारत को ही नहीं, अपितु संपूर्ण जगत के लिए मार्गदर्शक है, ऐसे उद्गार हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ ने कहे । वे वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के सप्तम दिन उपस्थितों को संबोधित कर रहे थे ।