रामनाथ देवस्थान – लिंगायत एक बोलीभाषा है । इस कारण ‘वीरशैव लिंगायत’ ही कहना चाहिए । वे हिन्दू धर्म के अनुसार उपासना करते हैं एवं सभी हिन्दू ही हैं । वीरशैव लिंगायत हिन्दू धर्म से भिन्न नहीं, अपितु अभिन्न है । हमारा हिन्दू राष्ट्र के इस कार्य में सदैव सहयोग रहेगा । साथ ही दक्षिण के राज्यों में कहीं भी यदि हिन्दू धर्म पर प्रहार होगा, तो वहां भी हम सभी आपके साथ हैं, ऐसा मत पू. श्री.ष.ब्र.प्र.१०८ (डॉ.) विरुपाक्ष शिवाचार्य महास्वामीजी ने व्यक्त किया है ।
स्वामीजी ने आगे कहा, ‘‘अखंड हिन्दुस्थान यह हिन्दू राष्ट्र ही है; परंतु उसे ‘सेक्युलर’ ठहराने का प्रयत्न किया जा रहा है । भारत में भले ही विविध संप्रदाय हों, तब भी सभी लोग हिन्दू धर्म की भांति आचरण करते हैं । इसलिए सभी लोग हिन्दू ही है । विगत १० वर्षों से लिंगायत एवं वीरशैव को अलग ठहराने का प्रयत्न हो रहा है । इतना ही नहीं, अपितु ‘फूट डालो और राज करो’, का नीति अवलंब कर उन्हें हिन्दू धर्म से अलग करने का प्रयास किया जा रहा है । शिवजी की उपासना करनेवाले लिंगायत हैं । गले में लिंग धारण करने से उनको ‘लिंगायत’ कहा जाता है । लिंग शिवजी का प्रतीक है । इसलिए वह वीरशैव है । शिव एवं जीव की एकरूपता करने की विद्या सिखनेवाला वीरशैव है ।’’