अमलनेर (जिला जलगांव) में बच्चों के खेलते समय हुई आपसी लडाई पर धर्मांधों ने किए दंगे !

  • सहायक पुलिस निरीक्षक पर तलवार से आक्रमण

  • ६ पुलिसकर्मी घायल

  • दत्तमंदिर की दिशा में भी पथराव !

  • पुलिस ने प्रतिकार करनेवाले हिन्दुओं को रोका !

  • ६१ लोगों पर अपराध प्रविष्ट; २९ लोगों को बनाया बंदी !

अमलनेर (महाराष्ट्र) – यहां के सफार गली के जिनगर गली में रात क्रिकेट खेलते समय बच्चों का आपस में झगडा हो गया । इससे धर्मांधों ने हिन्दुओं पर जोरदार पथराव किया, परिणामस्वरूप दंगे भडक उठे । (ऐसी घटनाओं से बारंबार यह ध्यान में आता है कि धर्मांध पत्थर एकत्र करके रखते हैं । इसलिए यदि किसी को लगे कि बीच-बीच में धर्मांधों के घरों पर छापा डालकर यह देखना चाहिए कि ‘पत्थर हैं क्या ?’ तो इसमें गलत क्या है ? – संपादक)

१. पथराव होने की जानकारी मिलते ही पुलिस अधिकारी यथाशीघ्र घटनास्थल पर पहुंचे । तब धर्मांधों ने ईंट, पत्थर, फरसा इत्यादि से पुलिसकर्मियों एवं अधिकारियों पर आक्रमण किया ।

२. इरफान जहुर दिलदार ने तलवार से सहायक पुलिस निरीक्षक राकेश सिंह पर आक्रमण किया ।

३. अतिरिक्त पुलिस बल मंगवाकर स्थिति पर नियंत्रण प्राप्त किया और २ दिन के लिए संचारबंदी लागू की गई है ।

४. चिंदर गली के पथराव के उपरांत शहर में अन्य स्थानों पर भी दंगे हुए ।

पवन चौक में प्रतिकार करनेवाले हिन्दुओं को पुलिस ने रोका !

सप्ताह बाजार भाग में तिरंगा चौक के दत्त मंदिर पर भी धर्मांधों ने पथराव किया । यह बात पवन चौक भाग के हिन्दू युवकों को पता चलते ही वे उसका प्रतिकार करने के लिए बाहर निकले तो पुलिस ने उन्हें रोके रखा । तब उन हिन्दू युवकों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की कि ‘‘पुलिस होते हुए भी कोई उपयोग नहीं । पुलिस हिन्दुओं को तो राेकती है; परंतु मुसलमानों के सामने उनकी एक नहीं चलती !’’

हिन्दुओं की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि उन्हें केवल मार खाना है, प्रतिकार तक नहीं करना है । यदि पुलिस ने धर्मांधों पर धाक जमाई होती, तो हिन्दुओं को प्रतिकार करने की आवश्यकता ही नहीं होती, यह पुलिस को ध्यान में रखना चाहिए !

संपादकीय भूमिका

  • इस घटना से यह पुन: स्पष्ट होता है कि धर्मांध कैसे दंगे करने का अवसर ढूंढते रहते हैं । ‘सरकार दंगे करवाने के लिए उकसाती है, ऐसा आरोप करनेवालों को इस विषय में अब क्या कहना है ?
  • इससे यही दिखाई देता है कि धर्मांधों को तनिक भी भय नहीं रह गया है, इसलिए ये पुलिस अधिकारियों पर भी प्राणघातक आक्रमण करने का दुस्साहस करते हैं । ऐसों पर अंकुश लगाने के लिए अब पुलिस क्या करेगी ?