ईरान में ७५ सहस्र में ५० सहस्र मस्जिदें बंद !

  • ईरान के प्रमुख का चयन करनेवाले विशेषज्ञों में से एक मौलाना ने दी जानकारी !

  • नमाजपठन की ओर भी लोगों की अनदेखी !

  • ईरान के शासक अमानवीय हैं एवं उनकी तानाशाही का आधार इस्लाम होने की जनभावना !

मौलाना मुहम्मद अबोलघासीम दौलाबी

तेहरान (इरान) – ईरान में विगत कुछ माह से महिलाओं द्वारा हिजाब के विरुद्ध आंदोलन आरंभ है । अब एक मुख्य मौलाना ने (इस्लाम के अध्ययनकर्ता ने) दावा किया है, कि देश में ७५ सहस्र में ५० सहस्र मस्जिदें बंद हो गई हैं । इस मौलाना का नाम मुहम्मद अबोलघासीम दौलाबी है । यह मौलाना ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की सरकार एवं देश के मौलानाओं के बीच मध्यस्थ का काम करता है । मौलाना दौलाबी  विशेषज्ञों की एक समिति का सदस्य भी है । यह समिति ईरान के मुख्य नेता का चयन करती है ।

इस्लाम के नाम से लोगों को समृद्धि से दूर रखकर निर्धन बनाया जाता है !

मौलाना मुहम्मद अबोलघासीम दौलाबी ने कहा ‘नमाजपठन करनेवालों की संख्या भी घट रही है । ईरान का निर्माण इस्लाम की स्थापना के समय हुआ है । ऐसे समय में मस्जिदों एवं नमाजपठन करनेवालों की संख्या अल्प होना चिंताजनक है । लोगों में इस्लाम के प्रति रुचि अल्प होने लगी है । इस कारण मस्जिदें बंद हो रही हैं । धार्मिक शिक्षा के मिथक एवं इस्लाम के नाम से लोगों को समृद्धि से दूर रखकर निर्धन बनाया जा रहा है । इसलिए ऐसा हो रहा है । धर्म के नाम पर लोगों को अपमानित भी किया जा रहा है । जब किसी धर्म के परिणामों की चर्चा होती है, तब लोग उसके आधार पर उस धर्म को छोडने अथवा उसे स्वीकारने का निर्णय लेते हैं । अनेक लोगों के मन में ऐसी भावना निर्माण हुई है कि ईरान के शासक अमानवीय हैं तथा उनकी इस तानाशाही का आधार इस्लाम है । सितंबर २०२२ से देश में हो रहा आंदोलन इसी का परिणाम है ।

संपादकीय भूमिका 

जब लोग सटीक अध्ययन करेंगे, तब संपूर्ण विश्व में यही स्थिति निर्माण होगी, इसमें संदेह नहीं है !