सर्वोच्च न्यायलय का निर्णय !
नई देहली – महाराष्ट्र की बैलगाडी दौड और तमिलनाडु को जल्लीकट्टू खेल को अनुमति देनेवाले कानून का आवाहन देनेवाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है । न्यायालय के ५ न्यायमूर्तियों के खंडपीठ ने यह खेल खेलने की अनुमति दी है ।
The #SupremeCourt upheld the validity of amendment Acts of #TamilNadu, #Maharashtra and #Karnataka which allowed bull-taming sport "Jallikattu", bullock-cart races and buffalo racing sport "Kambala" respectively. #Jallikattu #Kambala #AnimalRights https://t.co/p6tbGMGz6P
— The Telegraph (@ttindia) May 18, 2023
१. गत सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि जल्लीकट्टू समान बैलों पर नियंत्रण पाने के खेल में किसी भी प्राणी का उपयोग कर सकते हैं क्या ?
२. सरकारने प्रतिज्ञापत्र में कहा था कि‘जल्लीकट्टू केवल मनोरंजन का खेल नहीं, अपितु इस कार्यक्रम का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्त्व है । इस खेल में बैलों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार नहीं किया जाता ।
३. सरकार ने ऐसा युक्तिवाद किया कि ‘जल्लीकट्टू’ में सम्मिलित होनेवाले बैलों को किसान वर्षभर प्रशिक्षण देते हैं जिससे किसी के लिए भी कोई संकट निर्माण न हो ।
‘जलीकट्टू’ खेल क्या है ?पोंगल त्योहार के तीसरे दिन जल्लीकट्टू का खेल शुरू होता है । इस खेल में खिलाडी को खुले छोडे हुए बैलों पर नियंत्रण प्राप्त करना होता है । यदि कोई खिलाडी १५ मीटर के अंदर बैल पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है, तो उसे विजेता घोषित किया जाता है । |
यह प्रकरण क्या है ?
- वर्ष २०११ : तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन पर प्रतिबंधित प्राणियों की सूची में किया बैलों का समावेश !
प्राणियों के संरक्षण का दावा करनेवाली ‘पेटा’ संस्था द्वारा जल्लीकट्टू खेल पर प्रतिबंध लगाने की मांग !
- वर्ष २०१४ : सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खिलाडियों पर प्रतिबंध !
तमिलनाडु सरकार द्वारा यह खेल शुरू रखने के लिए केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने की मांग !
- वर्ष २०१६ : केंद्र सरकार द्वारा कुछ शर्तों सहित एक अधिसूचना जारी कर जल्लीकट्टू आयोजित करने की दी अनुमति !
कानून के विरोध में ‘पेटा’ पुन: सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा । न्यायालय ने प्रथम याचिका नकार दी; परंतु पुनर्विलोकन याचिका स्वीकार कर खेल को अंत में अनुमति दी ।