२ बैल भी मरे
चेन्नई (तमिलनाडु) – ‘पोंगल’ त्योहार पर तमिलनाडु के अनेक जनपदों में १६ जनवरी को मनाए गए ‘जल्लीकट्टू’ उत्सव में ७ लोगों की मृत्यु हुई तथा ४०० लोग घायल हुए । पुदुक्कोट्टई और शिवगंगाई में २ बैलों की मृत्यु हुई । मरने वालों में अधिकतर लोग इस खेल में सम्मिलित नहीं थे; वे या तो बैल मालिक थे अथवा दर्शक । इस उत्सव में बैल को लोगों की भीड़ में दौड़ाया जाता है । इस खेल में पूरे राज्य से ६०० से अधिक बैलों का समावेश किया गया था ।
🐂💔 Jallikattu Tragedy in Tamil Nadu 💔🐂
📅 On January 16, during the ‘Jallikattu’ festival held as part of Pongal celebrations:
⚫ Atleast 7 people lost their lives
🔴 400 injured
🐂 2 bulls died in Pudukkottai and Sivaganga
VC: @NewIndianXpress pic.twitter.com/nHrrBq8PN9
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) January 17, 2025
क्या है जल्लीकट्टू ?
तमिलनाडु में प्रति वर्ष मकर संक्रांति के दिन ‘पोंगल’ त्योहार मनाया जाता है । यहां के लोग इस दिन वर्ष प्रारंभ करते हैं । ३ दिन चलने वाले इस त्योहार के अंतिम दिन बैलों की पूजा की जाती है । उन्हें सजाया जाता है । पश्चात जल्लीकट्टू खेल आरंभ होता है । यह खेल पोंगल त्योहार का एक भाग है । इस खेल में बैल को भीड़ में छोड़ा जाता है । इसमें भाग लेनेवाले लोग बैल का कंधा पकड़ कर उसे रोकने का प्रयत्न करते हैं । जो व्यक्ति बैल का कंधा सबसे अधिक समय तक पकड़े रहता है, उसे विजेता घोषित किया जाता है । जल्लीकट्टू का इतिहास २ हजार ५०० वर्ष प्राचीन है । जल्लीकट्टू नाम जल्ली (सोने-चांदी के सिक्के) और कट्टू (बंधा हुआ) इन दो शब्दों से मिलकर बना है । जल्लीकट्टू में जब बैल मरता है, तब खेलाडी अपना मुंडन करवा कर मृत बैल का अंतिम संस्कार करते हैं ।