सनातन संस्था को ‘आतंकवादी’ अथवा ‘प्रतिबंधित संगठन’ के रूप में घोषित नहीं किया गया है !

  • नालासोपारा में कथित हथियार संग्रह प्रकरण में मुंबई उच्च न्यायालय का प्रतिपादन !

  • नालासोपारा प्रकरण में दो लोगों को प्रतिभू (जमानत)सम्मत 

सनातन संस्था को अवैध कार्रवाई प्रतिबंधक कानून के अनुसार ‘आतंकवादी’ अथवा ‘प्रतिबंधित संगठन’ के रूप में घोषित नहीं किया गया है

मुंबई – नालासोपारा के कथित हथियार संग्रह प्रकरण में २४ मार्च को मुंबई उच्च न्यायालय ने कथित आरोपी श्री. लीलाधर लोधी एवं श्री. प्रताप हाजरा को प्रतिभू पर मुक्त किया । इस समय ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना करने के उद्देश्य से सार्वभौमिकता एवं अखंडता नष्ट कर भारत को अस्थिर करने के लिए आतंकी कार्रवाईयों में सहभागी होने का आरोप था, तथापि, सनातन संस्था को अवैध कार्रवाई प्रतिबंधक कानून के अनुसार ‘आतंकवादी’ अथवा ‘प्रतिबंधित संगठन’ के रूप में घोषित नहीं किया गया है’, न्यायालय ने प्रतिभू सम्मत करते हुए ऐसा कहा ।

श्री. लीलाधर लोधी एवं श्री. प्रताप हाजरा ने मुंबई उच्च न्यायालय में प्रतिभू के लिए निवेदन दिया था । न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे एवं न्यायमूर्ति कमल खाता के खंडपीठ के समक्ष इसकी सुनवाई की गई । न्यायालय ने कहा, ‘वर्ष २०१८ में राज्य के आतंकवाद विरोधी दल (ए.टी.एस.) ने नालासोपारा के गोरक्षक श्री. वैभव राऊत के घर में विस्फोटक मिलने का दावा किया था । इस प्रकरण में श्री. वैभव राऊत, लीलाधर लोधी, प्रताप हाजरा के साथ ही अन्य कुछ अपराधियों को बंदी बनाया गया था । सरकारी अधिवक्ताओं ने अपराधियों के प्रतिभू का विरोध किया; परंतु सह अपराधी के बयान की वास्तविकता जांच किए जाने तक उन पर लगा आरोप मान्य नहीं किया जा सकता’ ।