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तेल अविव (इजरायल) – अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू तथा पूर्व रक्षामंत्री योव गैलंट के विरुद्ध गिरफ्तारी का वारंट जारी किया । ‘हमास को नष्ट करने के नाम पर इजरायली सेना निर्दाेष लोगों को मार रही है तथा उन्हें मरने के लिए छोड रही है’, ऐसा न्यायालय ने कहा ।(‘सूखे के साथ गीला भी जल जाता है’, यह सार्वत्रिक नियम है । जिन्हें निर्दाेष माना जा रहा है, वही लोग हमास के आतंकियों की सहायता कर रहे हैं, इसकी अनदेखी क्यों की जा रही है ? उनकी सहायता के बिना क्या हमास इजरायल पर आक्रमण कर सकता था ? – संपादक) अमेरिका ने यह वारंट लेना अस्वीकार किया, जबकि ब्रिटेन, कनाडा, नेदरलैंड तथा इटली इन देशों ने ‘नेतान्याहू यदि उनके देश में आए, तो उन्हें बंदी बनाया जाएगा’, ऐसा कहा है । अमेरिकी सरकार की प्रवक्ता ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की निर्णयप्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हुए, इसे ‘जल्दबाजी’ कहा है । अमेरिका अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का सदस्य देश नहीं है ।
१. इजरायल ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा लगाए गए आरोप अस्वीकार किए हैं । उसने न्यायालय के न्यायाधिशों पर पक्षपात का आरोप लगाया है । नेतान्याहू ने कहा कि न्यायालय संवैधानिक पद्धति से चुने हुए प्रधानमंत्री पर झूठा आरोप लगा रहा है । हम सामान्य लोगों को लक्ष्य नहीं बनाते । प्राणहानि टालने हेतु हम सर्वाेपरि प्रयास कर रहे हैं । इजरायल गाजा के लोगों को आक्रमण से सतर्क रहने हेतु लाखों दूरभाष संदेश तथा घोषणाएं प्रसारित करता है, तो दूसरी ओर हमास के आतंकियों ने गाजा के लोगों को संकट में डाला । हमास के आतंकी गाजा के नागरिकों का मानवीय ढाल के रूप में उपयोग करते हैं । हमने गाजा को ७ लाख टन अनाज की आपूर्ति भी की है ।
२. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने नेतान्याहूसहित हमास के पूर्व कमांडर मोहम्मद दाइफ के विरुद्ध भी वारंट जारी किया है । न्यायालय ने दाइफ पर ७ अक्टूबर २०२३ को इजरायल में सामूहिक हत्याएं, बलात्कार तथा लोगों को बंधक बनाने का आरोप लगाया है, तथापि इजरायल ने जुलाई के महिने में दाइफ को मार देने का दावा किया था ।