२४ करोड मुसलमानों को आप समुद्र में फेंकोगे या चीन में भेजोगे ?

फारूख अब्दुल्ला का केंद्र सरकार को प्रश्न !

फारुख अब्दुल्ला

नई देहली – जम्मू-कश्मीर की नैशनल कॉन्फेरेंस के नेता तथा भूतपूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला द्वारा उनके निवासपर आयोजित विरोधी दलों की बैठक में केंद्र सरकार से पूछा गया कि, ‘केंद्र सरकार धार्मिक रेखा खींचकर देश को विभाजित कर रही है । यह बंद होना चाहिए । देश में भय एवं द्वेष की राजनीति कोई नई बात नहीं है । ये लोग २४ करोड मुसलमानों का क्या करनेवाले हैं ? वे उन्हें समुद्र में फेंक देंगे या चीन में भेज देंगे ?’ इस बैठक में निश्चित किया गया कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का आयोजन हो, इसलिए निर्वाचन आयोग से मिलकर मांग की जाएगी । उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य की श्रेणी देने की मांग की जाएगी ।

१. अब्दुल्ला ने कहा कि गांधीजी रामराज्य की बात करते थे; अर्थात एक ऐसा कल्याणकारी राज्य जहां सभी को समान अधिकार होंगे एवं कोई भेदभाव नहीं होगा । हमें उनके आदर्शाेंपर चलना चाहिए । परस्परों के विरूद्ध किसी को भी खडा नहीं करना चाहिए । (कश्मीर के मुसलमान गांधीजी के मार्गपर कब चलना आरंभ करेंगे, यह फारूख अब्दुल्ला पहले बताएं ! – संपादक)

२. बैठक के उपरांत पत्रकारों से बातचीत करते हुए फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि आज जम्मू चेंबर ऑफ कॉमर्स ने प्रॉपर्टी टैक्स के विरोध में बंद का आवाहन किया था । इस समय लोगों पर लाठी चली । इससे ध्यान में आता है कि राज्य में स्थिती अच्छी नहीं है । जम्मू-कश्मीर देश का अविभाज्य अंग है । हम देश के होते हुए भी हमारे बारे में ऐसा क्यों किया जा रहा है ? हम राष्ट्रविरोधी नहीं हैं ।(‘आपके देशभक्त होनेपर भारतियों को संदेह क्यों है ?, इसपर वे क्यों नहीं बोलते ? – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

  • ‘१५ मिनटों के लिए पुलिस को हटाईए, १०० हिन्दुओं को पाठ पढाएंगे’, ऐसा कहनेवाले एम. आई. एम. के नेता अकबरूद्दीन आवैसी के बारे में अब्दुल्ला क्यों नहीं बोलते ?
  • देश में कश्मीर में मुसलमानों के बहुसंख्यक होनेपर हिन्दुओं की स्थिती कैसे हो गई, यह पूरा संसार जानता है; इस संदर्भ में अब्दुल्ला क्यों नहीं बोलते ?