कर्नाटक के लेखक के.एस. भगवान का हिन्दू विरोधी विधान !
मंड्या (कर्नाटक) – श्रीराम दोपहर में सीता के साथ बैठते थे । दिन भर मद्यपान करते थे । सीता को वन में भेजते थे । उन्हें सीता की कोई भी चिन्ता नहीं थी । पेड के नीचे बैठकर प्रायश्चित लेनेवाले शांबूक का उन्होंने सिर काट दिया । तो उन्हें आदर्श कैसे कहें ? ऐसा विधान सेवानिवृत्त प्राध्यापक और लेखक के.एस. भगवान ने किया । २० जनवरी के दिन यहां आयोजित कार्यक्रम में वे बोल रहे थे ।
के.एस. भगवान ने आगे कहा कि, रामराज्य स्थापित करने की चर्चा होती है । यदि कोई वाल्मीकि रामायण के उत्तराखंड का अध्ययन करेगा, तो उन्हें श्रीराम के आदर्श व्यक्ति न होने की बात समझ में आएगी । उन्होंने ११ सहस्र वर्ष नहीं, तो केवल ११ वर्ष राज्य किया था ।’’
सरकार को के.एस. भगवान को कारागृह में डालना चाहिए ! – भाजपा की मांग
भगवान ने इस विधान पर टिप्पणी करते हुए कर्नाटक के भाजपा नेता विवेक रेड्डी ने कहा कि, यह अत्यंत अश्लील और घृणास्पद टिप्पणी है । इससे उनकी गंदी मानसिकता दिखाई देती है । उन्होंने यह बात अन्य किसी देश में कही होती, तो उन्हें क्या क्या देखना पडता ? भारत एक सहिष्णु देश है; लेकिन हम अपने देवताओं का अपमान सहन नहीं करेंगे । प्रत्येक बात की एक सीमा होती है । सरकार को उन्हें तुरंत कारागृह में डालना चाहिए ।
के. एस. भगवान ने इसके पूर्व किए आपत्तिजनक विधान !
१. के.एस. भगवान ने वर्ष २०१९ में भी दावा किया था कि, भगवान श्रीराम नियमित मद्यपान करते थे । उन्होंने माता सीता को भी दारु पिलाई थी । इस विषय में उन्होंने अपनी पुस्तक में भी लिखा है । इस पुस्तक के कुछ अंशों पर विवाद हुआ था । इस कारण सरकार को उन्हें सुरक्षा उपलब्ध करवानी पडी थी । सरकार ने भगवान के आपत्तिजनक विधान के उपरांत उनकी पुस्तक को सरकारी ग्रंथालय से निकाल दिया था ।
२. वर्ष २०१५ में भगवान ने ‘मैं श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ पृष्ठ जलाऊंगा’, ऐसा घोषित किया था । इसके उपरांत पुलिस ने उनके विरोध में धार्मिक भावनाएं आहत करने का अपराध प्रविष्ट किया था ।
भगवान पर फेंकी गई थी स्याही !
वर्ष २०२१ में के.एस. भगवान पर बंगलुरू की एक महिला अधिवक्ता ने स्याही फेंकी थी । महिला ने कहा था कि, भगवान हिन्दू धर्म का अपमान कर रहे हैं । इसलिए उनका मुंह काला किया ।
संपादकीय भूमिका
|